आईटीसी सनफीस्ट मॉम्स मैजिक ने अपने #HugHerMore कैंपेन में बताया खुश रहने का तरीका

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आईटीसी के एक सर्वे के अनुसार –

•          बचपन के मुकाबले बड़े होने पर लोग अपनी माओं से 50 प्रतिशत कम गले लगते हैं

•          सर्वे में शामिल 60 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी मां ही खुशियों का सबसे बड़ा स्रोत हैं 

कोलकाता, 19 जनवरी 2023: आज की भागदौड़ भरी दुनिया में अलग-अलग वजहों से तनाव बढ़ता जा रहा है। अक्सर हम तनाव दूर करने के लिए ऑनलाइन कॉन्टेन्ट देखते हैं, गेमिंग या सोशल मीडिया पर टाइम पास करने जैसी चीजों का सहारा लेते हैं। वहीं,काम का बोझ और अन्य सामाजिक जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण लोगों के लिए माता-पिता के साथ समय बिताने या उनके करीब रह पाना कम होता जा रहा है। इस स्थिति को मद्देनजर रखते हुए, आईटीसी सनफीस्ट मॉम्स मैजिक द्वारा हाल ही में किए गए एक सामाजिक प्रयोग में यह बात सामने आई है कि मां के गले लगने से न सिर्फ आपका तनाव दूर होता है बल्कि आप ज्यादा खुशी भी महसूस करते हैं।

इस संदेश को अधिकतम लोगों तक पहुंचाने के लिए सनफीस्ट मॉम्स मैजिक ने नए साल पर पूरे देश में हैशटैग  हगहरमोर (#HugHerMore) कैंपेन शुरू किया ताकि सभी लोगों को अपनी मांओं को ज्यादा से ज्यादा गले लगाने के लिए प्रेरित किया जा सके।

सनफीस्ट मॉम्स मैजिक ने दिल्ली, बंगलुरू और मुंबई में क्राउऩइट के साथ मिलकर 321 प्रतिभागियों के बीच एक सर्वे कराया ताकि यह समझा जा सके कि पिछले कुछ सालों में लोगों द्वारा अपनी मां को गले लगाने की आदत में किस तरह बदलाव आया है।

सर्वे की मुख्य बातें:

·         बचपन के मुकाबले बड़े होने पर मां को गले लगाने की आदत में जहां किशोरावस्था पीढ़ी में 31 प्रतिशत की कमी देख गई वहीं युवा पीढ़ी में 33 प्रतिशत की कमी आई है। यह भी देखने मिला कि नौकरीपेशा लोगों की तुलना में स्टूडेंट्स अपनी मांओं से ज्यादा गले मिलते हैं।

·         तनाव दूर करने के तरीकों में सबसे आम और पसंदीदा काम गाने सुनना है, दूसरे नंबर पर आता है ओटीटी पर कॉन्टेन्ट देखना और मांओं के गले लगना तीसरे नंबर पर आता है।

·         इसके अलावा, लोग अपने बच्चों को हफ्ते में 6 बार गले लगाते हैं, जीवनसाथी या पति-पत्नी को हफ्ते में 5 बार तो वहीं हफ्ते भर में मांओं से करीब 3 बार ही गले मिलते हैं।

·         जब सर्वे के प्रतिभागियों से पूछा गया कि अपनी मांओं के गले मिलकर उन्हें कैसा महसूस होता है तो 60 प्रतिशत से ज्यादा ने कहा कि उन्हें सुकून मिलता है, मूड अच्छा हो जाता है और खुशी महसूस होती है।

13 से 35 साल की उम्र के लोगों के बीच किए गए इस सर्वे में महिला और पुरुष दोनों ही शामिल थे। इस सर्वे को स्टूडेंट्स, नौकरीपेशा लोग, घरेलू महिलाओं और अपने माता-पिता के साथ या उनसे दूर रहने वाले युवाओं जैसी श्रेणियों में बांटा गया था।

इस सर्वे और सामाजिक प्रयोगके कैंपेन के बारे में बात करते हुए श्री अली हैरिस शेर, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, बिस्किट एंड केक्स क्लस्टर, फूड्स डिविज़न, आईटीसी लिमिटेड., ने कहा कि, ” गले मिलना/लगना, प्यार जताने का एक तरीका है और मां तथा बच्चों के बीच अहम कड़ी का काम करता है। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं और जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं, मांओं के साथ करीबी में काफी कमी आ जाती है। यह दूरी बढ़ती ही चली जाती है और बच्चे जैसे-जैसे आत्मनिर्भर होते जाते हैं, माएं अकेली होती जाती हैं। हमारे ब्रांड ने हमेशा किसी न किसी उद्देश्य को अपनाया है, और हमेशा से यह कोशिश रही है कि हम मांओं से जुड़ी रोजमर्रा की समस्याओं के लिए आवाज़ उठाएं ताकि मुख्यधारा में इस पर बात हो सके। हमारा इरादा हमेशा से यह संदेश देना रहा है कि ‘माएं सबसे ज्यादा प्यार और खुशियां देने वाली सुपरपावर’ हैं। इस साल हम देश की मांओं की ओर से सभी बच्चों को यह संदेश देना चाहते थे कि अपनी मां के गले लगना एक जादुई एहसास है, जो किसी दवाई की तरह काम करता है- मां और बच्चे दोनों के लिए। हमारे हैशटैग  हगहरमोर कैंपेन का मकसद सभी को अपनी मांओं के ज्यादा से ज्यादा गले लगने को प्रेरित करनाहै। हमारा सामाजिक प्रयोग यह दिखाता है कि अपनी मां को गले लगाकर लोगों को ज़बरदस्त खुशी महसूस हुई। इस साल हम खुद से यह वादा करना चाहिए कि हम अपनी मांओं से उसी तरह और उतना ही ज्यादा गले लगेंगे जैसे हम बचपन में करते थे।”

सामाजिक प्रयोग के विवरण: आईटीसी सनफीस्ट मॉम्स मैजिक ने “द हैपिनेस हैक एक्सपेरिमेंट” नाम के एक सामाजिक प्रयोग के ज़रिए यह समझने का प्रयास किया कि अपनी मां के गले लगकर किसी व्यक्ति को कितनी खुशी महसूस होती है। इस प्रयोग के तहत मुख्य किरदार पर एक ब्रेन ट्रैकिंग डिवाइस लगाई गई ताकि इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सके कि मां के गले लगने पर होने वाली खुशी किस हद तक बढ़ जाती है।

इस दो दिवसीय प्रयोग को दिखाने के लिए बनाए गए डिजिटल वीडियो में सर्वे के प्रमुख प्रतिभागी कई तरह की एक्टिविटीज़ करता है, जैसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना, सोशल मीडिया कॉन्टेन्ट देखना, एक चैट ऐप पर दोस्तों से चैट करना और अपनी मां के गले लगना। उसकी खुशी के स्तर में सबसे ज्यादावृद्धि तब देखी गई जब वह दूसरे दिन अपनी मां के गले लगता है। इससे यह संकेत मिला कि मां के गले लगने का एहसास वाकई में जादुई है हैशटैग  हगहरमोर कैंपेन के ज़रिए आईटीसी सनफीस्ट मॉम्स मैजिक सभी भारतीयों से यह अपील करता है कि आप अपनी मां के साथ ज्यादा समय बिताने और उन्हें गले लगाने की प्रतिज्ञा करें।

इस सामाजिक प्रयोग के बारे में पुनीत कपूर, चीफ क्रिएटिव ऑफिसर, ओगिल्वी साउथ, कहते हैं कि, “अपनी व्यस्त और तनाव भरी लाइफस्टाइल में हम खुशियों के ज्यादा से ज्यादा पल पाने के लिए लगातार नए तरीके तलाश रहे हैं। इस तलाश में हम अक्सर टेक्नोलॉजी और मोबाइल/लैपटॉप स्क्रीन का रुख करते हैं। हालांकि टेक्नोलॉजी कुछ देर के लिए तो हमारी खुशियां बढ़ा सकती है लेकिन यह असली खुशी से हमेशा दूर ही रहती है। हमारा स्क्रीन टाइम अब खतरनाक स्तर को पार कर गया है, ऐसे में ज़रूरी है कि हम अपने वास्तविक मानवीय संबंधों पर ध्यान दें। वक्त आ गया है कि हम उस स्रोत को अपनाएं जो मुझे लगता है कि हमारी खुशियों का असली और असीम माध्यम है- वह माध्यम जहां से हमने जन्म लिया है – हमारी मां। इसी आइडिया को आधार बनाकर टेक्नोलॉजी के सहयोग से इस प्रयोग को अमल में लाया गया। इस सामाजिक प्रयोग ने मां के गले मिलने से प्रतिभागी पर हुए जादुई असर को एक बार फिर साबित कर दिया है।”

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