विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया गया

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कोलकाता,(नि.स.)l ग्लूकोमा को आम भाषा में काला मोतिया कहते हैं. आंख के अंदर अंगों के पोषण के लिए एक तरल पदार्थ उत्पन्न होता है. पोषक के बाद यह तरल पदार्थ आंख के महीन छिद्र (फिल्टर) से बाहर निकलते हैं. उम्र के साथ छिद्र तंग होने शुरू हो जाते हैं. और दृष्टि धीरे-धीरे चली जाती है. जी हां, कुछ ऐसा ही कहना है डॉ. पार्थ विश्वास, चेयरपर्सन, साइंटिफिक कमेटी, ऑल इंडिया ऑप्थेल्मोलॉजीकल सोसाइटी का. दरअसल 12 मार्च से विश्व ग्लूकोमा सप्ताह की शुरुआत हुई है और यह 18 मार्च तक चलेगा. इसी के मद्देनजर महानगर में ग्लूकोमा जैसी खतरनाक बीमारी पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया था. इस पर बोलते हुए डॉ. विश्वास ने उपरोक्त बातें कही. उन्होंने आगे कहा, ग्लूकोमा पकड़े जाने पर इसे दवाइयों, लेज़र ट्रीटमेंट और ऑपरेशन के ज़रिए कंट्रोल किया जा सकता है. इस अवसर पर डॉ. मनीष सिंह, डॉ. देबाशीष चक्रवर्ती सहित कई लोग मौजूद थे.

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