नाबालिग रेप विक्टिमों के लिए न्याय व्यवस्था ठीक नहीं, बताएगी निर्भया

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कोलकाता,(नि.स.)l किसी भी देश और समाज की उत्कृष्ठता का सूचकांक उस देश और समाज में महिलाओं की दशा से लगाया जाता रहा है। यह पैमाना आज भी प्रासंगिक बना हुआ है। यही कारण है कि सामाजिक ताने बाने को बनाए रखने के लिए नियम-कानून, पुलिस और न्यायालय बनाए गए, जिनमें उतरोत्तर सुधार की जरूरत की गुंजाइश भी रखी गई।

हालांकि बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे घृणित अपराधों के लिए भारतीय कानून कितना सख्त है और उन आरोपों की सुनवाई कर रहीं भारतीय न्यायालय कितने फुर्त है, अभी यह सवाल ज्यादा मौजू हो चले हैं, क्योंकि देर से मिला न्याय लगभग अन्याय के बराबर होता है।

लेकिन समाज के संतुलन बनाए रखने के लिए गठित संस्थाएं तब बेमानी हो जाती हैं जब उनके क्रियान्वन में हीला हवाली होती है। ऐसा ही कुछ महिलाओं के खिलाफ तेजी से फैल रहे अपराधों में हो रहा है, जिनमें बलात्कार और सामूहिक बलात्कार प्रमुख हैं। 

आयेदिन नाबालिग लड़कियों के बलात्कार की घटनाएं सुनने को मिलती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं नाबालिग लड़कियां जो रेप विक्टिम्स होती हैं उनके लिए न्याय व्यवस्था उतना सटीक नहीं है. उसमें सुधार की आवश्यकता है.
इसी बीच निर्देशक अंशुमान प्रत्युष ने अपनी ही बांग्ला फ़िल्म निर्भया के ज़रिए इसे बताने की पुरजोर कोशिश की है. यह एक कोर्टरुम ड्रामा जॉनर की फ़िल्म है. नाबालिग लड़कियां जो रेप विक्टिम्स होती हैं, यह फ़िल्म उनके लिए एक अलग कानूनी व्यवस्था की मांग करता है. इस फ़िल्म में प्रियांका सरकार, गौरव चक्रवर्ती, हिया दे, सब्यासाची चक्रवर्ती, श्रीलेखा मित्रा और शांतिलाल मुखर्जी हैं. फ़िल्म 12 नवम्बर 2021 से सभी सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है.

फ़िल्म की कहानी एक 13 साल की नाबालिग लड़की पियाली(हिया दे) के रेप होने के बाद से शुरू होती है. इस हादसे के बाद वह कोमा में चली जाती है. जब उसे 6 महीने और 20 दिनों के बाद होश आता है, तो उसे पता चलता है कि वह गर्भवती है. तब जाकर एक एनजीओ की सर्वेसर्वा(किरदार निभाया है श्रीलेखा मित्रा ने) पियाली को इंसाफ दिलाने का बीड़ा अपने कंधों पर उठा लेती हैं. इसके तुरंत बाद रित्तिक दत्ता(गौरव चक्रवर्ती) जो कि एक वकील हैं, उनकी एंट्री होती है. रित्तिक कोर्ट में एक पिटीशन फाइल करता है, ताकि पियाली अपने पेट में पल रहे बच्चे को गिरा सकें. कोर्ट में रित्तिक के खिलाफ खड़े होते हैं रितोब्रत बैद्य(शांतिलाल मुखर्जी) और उनका असिस्टेन्ट अरात्रिका (प्रियांका सरकार). अरात्रिका असल में रित्तिक की बीवी है, लेकिन दोनों साथ नहीं रहते हैं. आगे चलकर रित्तिक केस हार जाता है. लेकिन मानवता की खातिर आखिरकारजस्टिस सान्याल (सब्यासाची चक्रवर्ती) को निष्पक्ष राय देनी पड़ती है.

वाकई फ़िल्म की कहानी दिल को छू जाती है. वहीं शांतिलाल मुखर्जी एवं अन्य कलाकारों का अभिनय देखते ही बनता है. यह फ़िल्म बताती है कि अगर एक नाबालिग लड़की जिसका सामूहिक बलात्कार हुआ हो और आगे चलकर अगर वह प्रेग्नेंट हो जाती है, तो उसके पेट में पल रहे बच्चे को गिराने से लेकर उसके बच्चे की परवरिश तक का मामला सलटाने की पूरी प्रक्रिया में हमारे देश की कानूनी व्यवस्था खोखली नज़र आती है. और इसी मुद्दे पर अंशुमान प्रत्युष की यह फ़िल्म एक सवाल खड़ी कर देती है. मामला यकीनन गम्भीर है. वाकई यह फ़िल्म समाज को सोचने पर मजबूर कर देगी.

गत शुक्रवार को यहां फ़िल्म का प्रीमियर हुआ.

मौके पर अभिनेता गौरव चक्रवर्ती ने कहा, पहली बार मैं इस फ़िल्म में एक वकील का किरदार निभा रहा हूं. और फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि मैंने जिन कलाकारों के साथ काम किया है, वे सभी एक लेवल के हैं. उनसे काफी कुछ सीखने को मिला.

‘इस फ़िल्म को करने की खातिर मैंने समाज के कई पहलुओं को जाना. जितने भी लोग इस फ़िल्म को देखने के लिए आएंगे, उनके दिमाग पर असर कर जाएगी यह फ़िल्म,’ जी हां, कार्यक्रम के दौरान जब अभिनेता शांतिलाल मुखर्जी से यह पूछा गया कि यह एक कोर्ट रुम ड्रामा जॉनर की फ़िल्म है, फ़िल्म को करने में कितना मज़ा आया, के जवाब में उन्होंने उपरोक्त बातें कही.
दूसरी तरफ अभिनेत्री हिया दे ने कहा, यह मेरी पहली फ़िल्म है. मेरा किरदार काफी चैलेंजिंग था.

यह फ़िल्म आपको अन्याय से लड़ना सिखाएगी, जी हां, प्रीमियर का लुत्फ उठाती हुईं फ़िल्म की एक और नायिका श्रीलेखा मित्रा ने फ़िल्म के बारे में बातचीत करते हुए उपरोक्त बातें कही.

फ़िल्म देखने आईं अभिनेत्री इधिका पाल का कहना है, लड़कियों को सही इंसाफ मिलना ही चाहिए. इसके लिए अलग कानूनी व्यवस्था आवश्यक है.

इसी बीच निर्देशक अंशुमान प्रत्युष ने कहा, जब भी किसी लड़की के साथ हुए दुष्कर्म की घटना मेरे कानों में आती है, तो मेरा खून खौल उठता है. शायद इसलिए मैंने मेरी फिल्म के लिए ऐसा विषय चुना.

इस अवसर पर अभिनेत्री रिद्धिमा घोष, एना साहा, पेंज़ी साहा, सब्यासाची चक्रवर्ती, सुजय प्रसाद चटर्जी सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे.

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