जब कभी खरा होता था, अदिति कुर्सी लेकर मेरे पीछे दौड़ा करती थी: प्रोसेनजीत चटर्जी

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मैंने सेट पर पहली बार विक्रमादित्य जी को रोते देखा: अपारशक्ति

कोलकाता,(नि.स.)l प्रसिद्ध अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी ने कहा है कि कुछ घटनाये ऐसी होती है, जो अपने पीछे यादें छोड़ जाती है. दरअसल वेब सीरीज जुबली की शूटिंग पेंडेमिक के दौरान हुई थी. शूटिंग के वो 40 दिन मैंने अपने सह कलाकारों अदिति राव हैदरी, अपारशक्ति खुराना, सिद्धांत गुप्ता एवं अन्य के साथ बिताई थी. वो लम्हें मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार लम्हों में से एक है. आज तक मैं उस पल से निकल नहीं पाया. पेंडेमिक के दौरान जब शूटिंग के लिए कोलकाता से मुम्बई जाता था, सेट पर पहुंचते ही फ़िल्म से जुड़े हर एक लोग मेरे पीछे लग जाते थे, ताकि किसी भी चीज़ की कमी ना रह जाये. जब कभी खरा होता था, अदिति कुर्सी लेकर मेरे पीछे आ जाती थी और कहा करती थी.. दादा आप बैठ जाइये. इस सीरीज में मेरे ज़्यादातर सीन अपारशक्ति खुराना के साथ फिल्माया गया है. आगे चलकर उससे तो मेरा बाप-बेटे जैसा रिश्ता बन चुका है. जी हां, प्रोसेनजीत ने हाल ही में यहां आयोजित वेब सीरीज जुबली के एक प्रोमोशनल इवेंट के दौरान उपरोक्त बातें कही. इस अवसर पर निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी, अभिनेता अपारशक्ति खुराना और अभिनेता सिद्धान्त गुप्ता उपस्थित थे.


आपको बता दें, हाल ही में वेब सीरीज जुबली अमेजोन प्राइम पर रिलीज हुई है. यह हिंदी सिनेमा के गोल्डन एरा से लेकर देश के बंटवारे के दर्दनाक मंज़र को बयां करती है. इसमें प्रोसेनजीत के अलावा अदिति राव हैदरी, अपारशक्ति खुराना, सिद्धांत गुप्ता और राम कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई है. इस सीरीज़ के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी हैं.


प्रोसेनजीत से जब यह पूछा गया कि इस सीरीज़ को करने की क्या वजह रही होगी, के जवाब में उन्होंने कहा, हमेशा से नई पीढ़ी के निर्देशकों के साथ काम करने की दिलचस्पी रही है और विक्रमादित्य मोटवानी की तो बात ही कुछ अलग है. हालांकि इस शो के जितने भी किरदार है, वह नाटकीय हैं लेकिन इसका जो बैकड्रॉप है वह असल है. पार्टीशन के दौरान बंगाल और पंजाब में क्या हुआ था ये सभी जानते हैं. लेकिन मुम्बई की दुर्दशा से कोई भी वाकिफ नहीं है. मोटवानी ने बारीकी से इन सारी चीज़ों को उठाया है. मैं पिछले 40 साल से फ़िल्म इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं. भारतीय सिनेमा के इतिहास से मैं भली-भांति वाकिफ हूं. इसके लिए मैंने काफी अन्वेषण भी किया है. यूं कह सकते हैं सिनेमा प्रेमियों के लिए जानकारियों से भरपूर दस्तावेज है जुबली. ऊपर से मोटवानी की टीम का हर एक सदस्य हर चीज़ में निपुण है. इसी वजह से लोग इस सीरीज को पसंद कर रहे हैं.

डेविड धवन के साथ मेरी पहली हिंदी फिल्म आई थी आंधियां, जुबली रिलीज़ होने के तुरंत बाद उन्होंने सबसे पहले मुझे फोन पर कहा था कि मैंने एक ही दिन में पूरी सीरीज़ देखी है. यह वाकई लाजवाब है, यह सुनकर मुझे बेहद खुशी मिली थी, जी हां, जब प्रोसेनजीत से यह पूछा गया कि इस सीरीज को देखने के बाद सबसे पहले किसने प्रतिक्रिया जताई थी, के जवाब में प्रोसेनजीत ने ऐसी बातें कही.

इस सीरीज में अदिति ने आपकी पत्नी की भूमिका निभाई है, उसके बारे में क्या कहना चाहेंगे, पूछने पर प्रोसेनजीत ने कहा, अदिति में अभिनय के प्रति काफी जुनून देखने को मिलती है. और वह इतनी सुंदर है कि उसे तो क्लासिक साहित्यिक नायिका का दर्जा दिया जाता है, जो अपने मासूम हुस्न से दर्शकों को दीवाना बना देने की क्षमता रखते हैं.

आप इतने प्रतिभाशाली अभिनेता है, लेकिन बॉलीवुड में आपको काफी कम देखा जाता है, कुछ समय पहले मैंने दिबाकर बनर्जी की फ़िल्म संघाई में अभिनय किया था. मेरी पहली हिंदी फिल्म थी डेविड धवन की आंधियां. दरअसल बात यह है कि मैंने पिछले 40 वर्षों में जो अपना ब्रांड तैयार किया है, उसे बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करते रहता हूँ. मुझे सही और दमदार चरित्र की तलाश रहती है. भले ही पूरी फिल्म में दो सींस ही क्यों न हो, लेकिन वह मेरे लिए ही होनी चाहिए. ऐसा कोई भी ऑफर आता है, तो मैं उसे तुरंत लपक लूंगा. जैसा कि आप सभी जानते हैं इस सीरीज़ में मैंने श्रीकांत रॉय नामक एक दमदार किरदार निभाया है और दूसरी तरफ आपने मेरा वाल्मीकि का चरित्र भी देखा है. मैं वर्सटाइल हूं. इसमें दो राय नहीं है.

राज कपूर, देवानन्द और दिलीप कुमार साहब के ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन फूटेज देखा करता था, ताकि यह समझ पाऊं कि करोड़ो लोगों में से वे अलग कैसे हैं, जी हां, जब अभिनेता सिद्धांत गुप्ता से यह पूछा गया कि जुबली में आपने जय खन्ना नामक एक फ़िल्म राइटर की भूमिका अदा की है, इसके पीछे आपने किस तरह का अन्वेषण किया था, के जवाब में उन्होंने कुछ ऐसा ही कहा.

वहीं विक्रमादित्य मोटवानी से यह यह पूछने पर कि आपने प्रोसेनजीत चटर्जी का चयन किस आधार पर किया है, के जवाब में उन्होंने कहा, उनमें जो गरिमा और इनायत है, वह किसी में मुझे दिखी नहीं, इसलिए मैंने श्रीकांत रॉय के किरदार के लिए उन्हें चुना था. इस सीरीज में आपने भारत पाकिस्तान के बंटवारे से लेकर हिंदी फिल्मों के गोल्डन एरा को काफी बारीकी से दिखाया है. फिल्मों के पीछे आपकी इश्क़ दीवानगी और जुनून दिखाई देती है, के जवाब में मोटवानी ने कहा, इस पर सौमिक सेन, अतुल सबरवाल और मैंने काफी काम किया है. हमने पता करने की कोशिश की कि उस ज़माने में गाने क्यों बैन हुए थे. अमेरिकन और रशियन आये थे, उनकी भूमिका कितनी रही. और रही बात रिफ्यूजी कैम्प्स की, तो मेरे घर पर भी रिफ्यूजी कैम्प्स बने थे. तो यह सारी बातें सुनने को मिल जाती थी. आगे चलकर हमने उल्हासनगर जाकर भी लोगों से पूछताछ की. इसलिए मेरे सामने क्लियर पिक्चर थी.

दुसरी तरफ अपारशक्ति खुराना ने प्रोसेनजीत के साथ काम करने को लेकर कहा, प्रोसेनजीत जी से मेरा गहरा रिश्ता है. जब कभी कोलकाता आता हूँ उनसे मिलकर उनका आशीर्वाद लिया करता हूं. यहां तक कि सेट पर भी काम शुरू करने से पहले उनके चरण स्पर्श करना कभी नहीं भूलता था. इसलिए शायद इस वेब सीरीज में मेरी और उनकी केमिस्ट्री जम गई है. और लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं.


जब सेट टूट रहा था यानी पूरी सिरीज़ की शूटिंग खत्म हुई, उस दिन पहली बार मैंने विक्रमादित्य जी को रोते हुए देखा था. हम सभी की आंखें नम थी, जी हां, जब खुराना से यह पूछा गया कि इस सीरीज के दौरान कोई यादगार लम्हा जिसे आप साझा करना चाहंगे, के जवाब में उन्होंने कुछ ऐसी ही बातें कही.

तो दोस्तो अगर आपको हिंदी फिल्मों से प्यार है और हिंदी फिल्मों के गोल्डन एरा में गोते लगाना चाहते हैं, तो JUBILEE आपके लिए है.

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