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पिंकू दत्ता(दिव्यांश)

तुम मुझ संग यूं ही मुस्कुराती रहो,
तुम मेरी आगोश में रह खिलती रहो !

वफ़ा के रंग को महसूस करते रहें,
तुम मेरे साथ खुशियां बुनती रहो !

दर्द का काफिला छोड़ आये बहुत दूर,
तुम तो अब सिर्फ मरहम बनती रहो !

दुआ करते रहें रब से हमेशा ‘दिव्यांश’,
बुरी नज़र के वार से तुम बचती रहो !

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