ज़िंदगी में सब कुछ जोड़ पाना संभव नहीं, कुछ खोना भी पड़ता है

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कोलकाता,(नि.स.)l प्रसिद्ध लेखक अनिर्बाण मित्रा की लिखी हुई किताब शून्य थेके नोय, योग वियोगेर जय ने हाल ही में अपना 1 साल पूरा कर लिया है. इसके लिए अनिर्बाण मित्रा ने महानगर में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन भी किया था. मौके पर उन्होंने अपनी आनेवाली नई ग्रंथ के बारे में खुलासा भी किया जो काफी दिलचस्प है.
कार्यक्रम के दौरान अनिर्बाण ने शून्य थेके नोय, योग वियोगेर जय किताब की कई सारी अध्याय को लेकर चर्चा भी की.
इस दौरान उन्होंने अहंभाव(Egotism) नामक अध्याय के बारे में चर्चा करते हुए कहा, कई लोग ऐसा सोचते हैं कि वे सर्वश्रेष्ठ हैं, उनकी बातों को सभी मानकर चलेंगे, हर कोई उनका सम्मान तथा श्रद्धा करेंगे, वे सबसे बेहतर खाद्य का सेवन करेंगे इत्यादि. लेकिन इस तरह के मनोभाव को वर्जन करना चाहिए. क्योंकि अहंभाव सामूहिक क्षण के लिए होती है. इस वजह से लोगों के साथ वाद-विवाद की सृष्टि भी होती है. एक इंसान का आपके प्रति प्यार कम होता जाता है. देखते ही देखते वे आपकी आंखों से ओझल हो जाते हैं. कुछ समय के लिए यह सार्वजनिक कार्यक्षेत्र में कारगर साबित हो भी जाए, लेकिन इसकी अवधि कम होती है. अगर आप विवाहित हैं, तो ये अहंभाव आपके सांसारिक जीवन को तहस नहस कर देगी. चाहे आप करोड़पति हों, काफी पढ़े लिखें हों , ये चंद मिनटों में आपके सारे अच्छे गुणों को नष्ट कर देती है. आप आपके अपनों के बीच पड़ाये हो जाएंगे, दुश्मनी मोल लेंगे या फिर कुछ और मुसीबत आपके गले पड़ जाएगी.
खत्म होती हुई इस दुनिया में अनिर्बाण की यह किताब आपके लिए ऑक्सीजन का काम करेगी ऐसा माना जा सकता है. यह किताब चाहे लाखों करोड़ों लोगों को भले ही बदल ना पाए, अगर एक भी इंसान इस किताब को पढ़ने के बाद अपने आपको बदल पाने में सक्षम हो जाते हैं, तो यह  अनिर्बाण के लिए सबसे बड़ी जीत साबित होगी.

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