वो 26 मिनट : जो ऑर्गन फेलियर का कारण बना

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तेज़ भागती हुई इस दुनिया में कई सितारे ऐसे भी हैं जो प्रचार और चमक-दमक से कोसों दूर हैं. लेकिन उनमें प्रतिभा की कमी नहीं होती है. ऐसे ही हैं बेहाला के प्रसिद्ध सरोदवादक श्री अर्णब भट्टाचार्या(38). शुरुआती दौर में उन्होंने अपने पिता श्री सपन भट्टाचार्या से तालीम ली. आगे चलकर उन्होंने पंडित बुद्धदेव दासगुप्ता को अपना गुरु बनाया. उन्हीं से लखनऊ की शेनिया शाहजहांपुर घराने के नुस्ख़े सीखें. म्यूजिक एक्सटेसी, स्पेक्ट्रम, वर्षा, इवनिंग एक्सटेसी, इन कन्वर्सेशन 1और 2, डार्क इनसाइड जैसे कई प्रसिद्ध म्यूजिक अलबम उनके नाम दर्ज है. आज वे देश मे ही नहीं बल्कि विदेशों में भी एक भारतीय शास्त्रीय संगीतकार के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित किया है.

हाल ही में उनसे हमारे प्रतिनिधि सप्तर्षि विश्वास से एक खास मुलाक़ात हुई. तो लीजिए पेश है उनसे की गई बातचीत के मुख्य अंश:-

1.संगीत की दुनिया में आपने किस तरह प्रवेश किया ?

साढ़े चार साल की उम्र से ही मेरे पिता ने मुझे सरोद वाद्य यंत्र से जोड़ दिया था. आगे चलकर वे  पंडित बुद्धदेव दासगुप्ता के पास लेकर गए. आज भी मेरे सीखने का सिलसिला बरकरार है.

2. आपने लखनऊ की सेनिया शाहजहांपुर घराने को अपनाया. इस बारे में कुछ बताएं.

यह लखनऊ का मशहूर घराना है. हाथों के बोल और सुर दोनों को मिलाकर बनता है सेनिया शाहजहांपुर घराना. इसमें आपको  सुर, दर्द, खुशी और तकनीकी चीज़ों का मिश्रण मिलेगा. इस वजह से मैंने इसे चुना है.

3. आपकी ज़िंदगी का कोई यादगार लम्हा, जिसे आप साझा करना चाहेंगे.

– 1997 में मैंने स्पेन-पुर्तगाल म्यूज़िकल टूर किया था. मेरी ज़िंदगी की पहली विदेश यात्रा आज भी मेरे दिल के करीब है. दूसरा जब 2019 में मैं घूमने के लिए डेट्रॉयट गया था. जहां दुनिया का पहला और एकमात्र नेचरल अम्फीथियेटर ब्लू रॉक्स मौजूद है. वहां पहुंचने के बाद मैंने सोचा कि क्यों ना यहां एक म्यूज़िक शूट किया जाए. फिर क्या था माइनस 16 डिग्री टेम्परेचर और हिमपात के तूफान के बीच मैंने 26 मिनट तक सरोद बजाया था. आखिरकार मैं बेहोश हो गया था. जब होश आया तो पता चला कि हार्ट, ब्रेन, किडनी और लिवर छोड़कर मेरे सारे ऑर्गन्स फेल हो चुके थे. मैंने मौत को काफी करीब से देखा था.

मेरी ज़िंदगी का एक और अहम किस्सा है, जो बंगलादेश के थर्ड जेंडर समुदाय से जुड़ी हुई है. वहां पूरी रात मैंने बिना किसी शर्त के परफॉर्मेंस दिया था. अंत में वहां बैठे लोगों ने कहा था कि हम सभी को आपमें हमारा रब दिखता है और वहां से जाते वक्त उन लोगों ने अपनी सारी जमा पूंजी मेरे हाथों में सौप दिया था.

4. वर्ल्ड म्यूजिक में सरोद का क्या स्थान है ?-अली अकबर खान से लेकर रवि शंकर, आशीष खान जिन्होंने सरोद को लेकर अपना बैंड तैयार किया था, सभी ने सरोद वादन ही नहीं बल्कि इंडियन क्लासिकल म्यूजिक को एक मुकाम तक पहुंचाने के लिए काफी लड़ाइयां लड़ी हैं. आजकल के लोग काफी शिक्षित हैं और इंटरनेट की वजह से लोग काफी तरह के म्यूजिक सुनते हैं. इसलिए सरोद वादन को एक स्थान मिल चुका है. इसी वजह से आज जेनेवा कनज़र्वेटरी में 164 लोगों की ओर्केस्ट्रेशन के बीच मेरा कम्पोज़िशन बजता है और मैं लीड करता हूं.

5.क्या आप किसी को फॉलो करते हैं ?

जी हां, ऐसे काफी लोग हैं. हैंस ज़िम्मर, जर्मन फ़िल्म स्कोर कम्पोज़र, यानी, ग्रीक अमेरिकन कम्पोज़र, आर रहमान, अजय-अतुल, लुडविग वैन बीथोवेन और सत्यजीत रे.

6. आपने काफी म्यूजिशियंस के साथ मिलकर म्यूजिक तैयार किया है, किन लोगों के साथ काम करना आपको ज़्यादा पसंद है?

– नेल बुकटोवर (सैक्सोफोन), मॉरिशस, फैब्रिस रामा लिंगम (ड्रमर), मॉरिशस, संजार नफीकोव (पियानिस्ट), उज़्बेकिस्तान, शाफिन अहमद (लीड वोकैलिस्ट-माइल्स), बांग्लादेश, नील (फ्लेमिंगो गिटारिस्ट), दुबई, और रेडलीन (पेरक्यूशनिस्ट), साउथ अफ्रीका.

7. कई देशों के हाई कमीशन आपको उनके यहां आयोजित वर्कशॉप पर बुलाते हैं, वहां आपकी क्या भूमिका रहती है?

-इंडियन कल्चर और सरोद यंत्र के इतिहास की कहानी वहां के लोगों को साझा करता हूं. दरसअल फ्यूज़न म्यूजिक जो कि इंडियन क्लासिकल म्यूजिक ही है, उसकी भी चर्चा करना लाज़मी हो जाता है. क्योंकि आमिर खुसरो साहब के समय से ही यह फ्यूज़न होते हुए आ रही है. फिर मैं उनके देश की प्रचलित संगीत को पेश करता हूं. ऑन स्टेज कुछ एक म्यूजिक भी तैयार कर लेता हूँ, ताकि सभी अपने आप को इससे जोड़ पाएं. मॉरिशस में एकबार ऐसा ही किया था, जिसे सुनकर मॉरिशस सरकार उसपर एक अलबम बनाने की परिकल्पना कर रही है.

8. आपको काफी सारे अवार्ड मिल चुके हैं. अवार्ड का मतलब आपके लिए क्या है और अब तक मिले अवार्ड में से कोई खास अवार्ड जिसका जिक्र आप करना चाहेंगे.

मैं समझता हूं कि अवार्ड उन लोगों के लिए है, जो मुझे हर तरह से स्पोर्ट किया करते हैं. मैं तो सिर्फ प्रतिनिधित्व करता हूँ. सरोद जैसे सुंदर अवार्ड मेरे लिए खास है, क्योंकि जिस दिन ये अवार्ड मुझे मिला था उस दिन मैंने 300 लोगों के बीच परफॉर्म किया था, जबकि मेरा हाथ टूटा हुआ था. म्यूजिक सुनने के बाद लोगों ने बड़ी तारीफ की थी.

9. आपकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा ख्वाब क्या है?- हर एक स्कूल में म्यूजिक कम्पलसरी होनी चाहिए. मैं चाहता हूं हर एक परिवार से एक म्यूजिशियन तैयार हो. तभी समाज का चेहरा बदल सकता है.

10. आपने कम्प्यूटर साइंस ऐंड इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है, इसे आप अपनी ज़िंदगी में कैसे उपयोग में लाते हैं?

म्यूजिक को लेकर हमेशा अन्वेषण करता रहता हूँ. इंजीनियरिंग की डिग्री उसी के काम आता है.

11.आनेवाले दिनों में किस तरह के प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं?

मेरे 3 गाने रिलीज़ होने के कगार में हैं. दो इंस्ट्रूमेंटल और एक वोकल ओरियेंटेड. इंस्ट्रूमेंटल में कई सारे म्यूजिशियंस एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं. जिनमें ब्राज़ील के फिलिप कोट्टा खास हैं. वे एक ड्रमर हैं. इसके अलावा एक शॉर्ट और एक रशियन फ़िल्म के लिए बैकग्राउंड म्यूजिक तैयार करुंगा.

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