रीढ़ की हड्डी की किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित हर स्तर के लोगों का मणिपाल अस्पताल में होता है सफल इलाज

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कोलकाता, नवंबर 2022: रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड मानव शरीर को सहारा देने वाली केंद्रीय संरचना है. यह रीढ़ की हड्डी मेरूरज्जु की रक्षा करता है, जो मस्तिष्क और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच संदेश पहुंचाता है. रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से स्थायी विकलांगता के शिकार हो सकते हैं और व्हीलचेयर पर जीवन व्यतीत करना पड़ सकता है, अपाहिज/लकवाग्रस्त या बहुत अधिक गंभीर आघात लगने पर मृत्यु भी हो सकती है. रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को जटिल प्रकृति के साथ-साथ समान रूप से कठिन परिस्थितियां प्रभावित कर सकती हैं. इसलिए इसकी देखभाल के लिए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण की जरूरत होती है. स्पाइन सर्जरी रीढ़ की विकृति को ठीक कर सकती है, अस्थिर रीढ़ को संतुलित कर सकती है और संकुचित मेरूरज्जु या नसों पर दबाव को कम कर सकती है.

बेंगलुरु के ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित मणिपाल अस्पताल में मणिपाल स्पाइन केयर सेंटर लगातार 15 से अधिक वर्षों से रीढ़ की बीमारियों से पीड़ित लाखों रोगियों की देखभाल में उत्कृष्टता के साथ एक समर्पित केंद्र रहा है. स्पाइन केयर सेंटर प्रोटोकॉल-संचालित है. चाहे वह गैर-ऑपरेटिव उपचार हो या तकनीकी प्रगति द्वारा सहायता प्राप्त उन्नत स्पाइनल सर्जरी हो, इसका उद्देश्य एक किफायती मूल्य पर सर्वोत्तम देखभाल प्रदान करना है. यह न केवल उत्कृष्ट चिकित्सा के बाद उपचार को तत्काल और निश्चित बनाता है, बल्कि यहां का उपचार समय की कसौटी पर खरा उतरता है. ओल्ड एयरपोर्ट रोड स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के स्पाइन सर्जरी और स्पाइन केयर के विभागाध्यक्ष और सलाहाकार डॉ एस विद्याधर ने साल 2008 में मणिपाल अस्पताल में स्पाइन केयर सेंटर (भारत में अपनी तरह का पहला)  स्थापित करने वाले संस्थापक और अग्रणी थे और तब से यहां दुनिया भर के जटिल रीढ़ की हड्डी के रोगियों को (अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप) शानदार सर्जरी की चिकित्सा उपलब्ध कराया जा रहा है.

मेरुदंड या रीढ़ की हड्डी की चिकित्सा के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने वाले डॉ. एस विद्याधर बताते हैं, “पिछले 15 वर्षों में हमने सभी आयु वर्ग के रोगियों (शिशुओं से लेकर 100+ वर्ष की आयु तक के बुजुर्गों) का 99% से अधिक की सफलता दर के साथ इलाज किया है. हम अब तक 12,850 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं. मेरुदण्ड के भीतर मेरूनाल की समस्या या इंट्रा-मेरूरज्जु की समस्या हो सकती है- यहां सभी का समान सफलता के साथ समान रूप से इलाज किया जाता है, क्योंकि हमारे पास मल्टी-मॉड्यूल न्यूरो-मॉनिटरिंग और न्यूरो-नेविगेशन के साथ अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर ऑपरेटिंग रूम हैं. स्पाइन सर्जरी को सुरक्षित बनाने के लिए उपलब्ध सुविधाएं और परिणाम दुनिया भर में उत्कृष्टता के किसी भी केंद्र के बराबर हैं.”

डॉ एस विद्याधर ने एक दशक से भी अधिक समय पहले श्रीमती सुचंदा घोषाल का 15 साल की उम्र में जटिल कूबड़ा (थोरैकोलम्बर काइफोस्कोलियोसिस ) रोग की सफलतापूर्वक सर्जरी की थी. इस समय वह शादी के बाद सामान्य प्रसव से दो बच्चों को जन्म देने के बाद खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रही हैं. यह तभी संभव हो पाया है, जब रोगी को उचित उन्नत चिकित्सा और देखभाल की गई, जिससे उन्हें न केवल शीघ्र स्वस्थ होने में मदद मिली, बल्कि वह रीढ़ की हड्डी की विकृति में सुधार के लिए हुई सर्जरी के बाद बिना किसी ब्रेक के अपनी पढ़ाई जारी रख सकी. उपचार के बाद वह और रोगी का परिवार को इतना विश्वास पैदा हो गया कि जब कुछ साल पहले उनकी मां को रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के कारण क्वाड्रिप्लेजिया (हाथ और पैरों का पक्षाघात) हो गया, तो उन्होंने इसी अस्पताल और इसी डॉक्टर को दिखाने का फैसला किया. उनकी मां का रीढ़ की हड्डी के डीकंप्रेसन के साथ सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया और वह अब अपने पैरों पर फिर से खड़ी हो गई हैं.

डॉक्टर कहते हैं, “स्पाइनल विकृति सर्जरी में रोगियों को सर्जरी के कुछ घंटों के भीतर चलने या गतिमान होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उनसे 2-3 सप्ताह के भीतर सामान्य जीवन में लौटने की उम्मीद की जा सकती है. यहां मुख्य जोर यह होता है कि यदि एक छात्र की बड़े स्कोलियोसिस या रीढ़ वक्रता सुधार के लिए सर्जरी की जाती है, तो हम या तो स्कूल की छुट्टियों या त्योहार की छुट्टियों के दौरान सर्जरी करते हैं ताकि उसे शैक्षणिक वर्ष का नुकसान नहीं हो. हमारी एनजीओ, मणिपाल फाउंडेशन, जो गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से संबंधित लोगों की मदद करती है, की सहायता से गंभीर रीढ़ की हड्डी की बीमारियों वाले आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के बच्चों के मामले में, यदि उनके पास माता-पिता की बीपीएल / निम्न-आय की स्थिति को प्रमाणित करने के लिए उचित दस्तावेज हैं, तो उनकी सर्जरी करवाते हैं.”

कोलकाता में एक चाय की दुकान की मालिक श्रीमती चंदा चक्रवर्ती, जो 12 साल से अधिक समय पहले बैंगलोर आई थीं और उनकी रीढ़ की हड्डी की सर्जरी हुई थी. वह न केवल ठीक हो गई है, बल्कि सर्जरी के एक महीने बाद ही वह काम करने लगी थी और अभी भी अपनी चाय की दुकान चला रही हैं. उनके पिता और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों का भी अस्पताल में ऑपरेशन किया गया था और वे सभी लंबे समय से अस्पताल में हुए उपचार से न केवल संतुष्ट हैं, बल्कि सकारात्मक परिणाम से लाभान्वित हो रहे हैं.

7-8 साल पहले एक अविवाहित युवती राखी को पीठ में रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर की समस्या पैदा हो गयी. उन्होंने ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने और हड्डियों को ठीक करने के लिए सर्जरी करवाई थी. सर्जरी के अगले ही दिन ही उन्हें पैरों पर खड़ा कर दिया गया और एक महीने की सर्जरी के बाद वह पूरी तरह से बिना बाधा के अपनी गतिविधियां शुरू कर दी. अब 8 साल से अधिक समय हो गए हैं और वह एक अच्छी और खुशहाल जिंदगी जी रही हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि रीढ़ की हड्डी की समस्या की जड़ यह है कि यदि उपचार उचित, सावधानीपूर्वक और समय पर किया जाए, तो परिणाम लंबे समय तक चलने वाले होंगे.

रीढ़ की हड्डी की सफल सर्जरी कराने वाले मरीज किसी और की तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं. हालांकि जख्म में संक्रमण, फिर से सर्जरी आदि जैसी छोटी-मोटी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन आज की दुनिया में स्पाइनल सर्जरी में लकवा का खतरा बहुत ही कम हो गया है और इसका अक्सर यह एक बहुत ही संतुष्टिदायक परिणाम सामने आता है, क्योंकि रीढ़ की सर्जरी लगभग हमेशा सफल होती है. यदि यह विशेषज्ञों के उन्नत प्रशिक्षण, विशेषज्ञता और अनुभव के साथ और नई और बेहतरीन तकनीक का उपयोग करके किया जाता है.

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