नई तकनीक से अपोलो हॉस्पिटल ने बचाई मरीज की जान

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कोलकाता: आए दिन लोग हृदय संबंधी विभिन्न प्रकार के रोगों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में हृदय संबंधी रोगों का समय पर इलाज ना करवाना जोखिम भरा होता है। इसी कड़ी में अपोलो हॉस्पिटल चेन्नई ने हृदय रोग से पीड़ित एक मरीज की जान बचाई है। दरअसल 64 वर्षीय एक महिला रोगी को एट्रियल फिब्रिलेशन की समस्या थी।


बता दें कि एट्रियल फिब्रिलेशन को आमतौर पर अनियमित दिल की धड़कन के रूप में जाना जाता है जो रक्त के थक्के, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और अन्य हृदय जटिलताओं को जन्म दे सकता है। सामान्य रूप में यह जीवन के लिए कोई खतरा नहीं है। लेकिन ध्यान ना देने या वक़्त पर उपचार ना लेने से जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।


ऐसे में हॉस्पिटल में मरीज को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए क्रायो बैलून एब्लेशन तकनीक का उपयोग किया और मरीज की जान बचाई। खास बात यह है कि अस्पताल ने चेन्नई में पहली बार इस तकनीक का उपयोग किया।


अपोलो मेन हॉस्पिटल्स के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ ए.एम.कार्तिगेसन ने क्रायो बैलून एब्लेशन तकनीक का उपयोग ट्रायल के तौर पर 15 रोगियों पर कर चुके हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन (एएफ) एक सामान्य हृदय ताल विकार है जो 90 लाख से अधिक भारतीयों को प्रभावित करता है, जिससे स्ट्रोक, दिल की विफलता और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।


क्रायो बैलून एब्लेशन टेक्नोलॉजी के कार्यों के बारे में बताते हुए डॉ कार्तिगेसन ने कहा, क्रायो बैलून एब्लेशन एक नई इंटरवेंशनल प्रक्रिया है जो दिल की लय को नियंत्रित करने के लिए नियोजित की जाती है। डॉक्टर कार्तिगेसन ने कहा कि दशकों से अपोलो हॉस्पिटल्स लोगों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए नई जीवन रक्षक सेवाएं और प्रक्रियाएं ला रहा है। यह नई प्रक्रिया उस प्रतिबद्धता की एक और याद दिलाती है।

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