इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन ने भारत के स्टेनलेस स्टील ब्रिज डिजाइन मैनुअल का पहला संस्करण जारी किया
पुल निर्माण के लिए स्टेनलेस स्टील को पसंदीदा सामग्री करार दिया गया
सिलीगुड़ी, 18 जून, 2024: इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) ने शहरी बुनियादी ढांचे में स्टेनलेस स्टील के परिवर्तनकारी गुणों का हवाला देते हुए भारत के स्टेनलेस स्टील ब्रिज डिजाइन मैनुअल का पहला संस्करण जारी किया, जिसमें पुल निर्माण के लिए मानक सामग्री के रूप में स्टेनलेस स्टील के इस्तेमाल की अनुशंसा की गई। एसटीयूपी कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व निदेशक डॉ. निर्मल्या बंदोपाध्याय के लिखे स्टेनलेस स्टील ब्रिज डिजाइन मैनुअल को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में इंडियन रोड्स कांग्रेस (आईआरसी) की 228वीं मध्यावधि परिषद बैठक के अवसर पर जारी किया गया। डिजाइन मैनुअल भारत के इंजीनियरों और शिक्षाविदों के लिए उपयोगी साबित होगा, जिससे इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी क्षमताओं में वृद्धि होगी।
यह मैनुअल सूचनाओं का एक संग्रह है। मैनुअल को सावधानीपूर्वक तैयार करते हुए इसमें स्टेनलेस स्टील के मौलिक गुणों से लेकर सबसे उन्नत डिजाइन सिद्धांतों को शामिल किया गया है। इसमें पुल के समग्र रखरखाव पर खर्च पर भी जोर दिया गया है और बताया गया है कि पुल के निर्माण में स्टेनलेस स्टील का उपयोग विशेष रूप से संक्षारक (ज़ग) वातावरण में अक्सर अधिक किफायती साबित होता है, जहां कोटिंग समेत पारंपरिक सामग्री अच्छी तरह काम नहीं कर पाती। इसके अतिरिक्त, स्टेनलेस स्टील टिकाऊ गुणों के कारण कार्बन उत्सर्जन कटौती की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करती है।
इस अवसर पर इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (आईएसएसडीए) के कार्यकारी निदेशक, श्री रोहित कुमार, ने कहा, “हमें इस अनूठे स्टेनलेस स्टील ब्रिज डिजाइन मैनुअल को प्रस्तुत करते हुए बहुत खुशी हो रही है। यह केवल एक निर्देशिका नहीं है, बल्कि हमारे बुनियादी ढांचे में स्टेनलेस स्टील के परिवर्तनकारी गुणों का प्रमाण है। यह मैनुअल स्टेनलेस स्टील डिजाइन की तकनीकी पेचीदगियों की गहरी समझ प्रदान करता है। इससे संरचना सलाहकारों व डिजाइनरों को टिकाऊ, स्थिर, सुरक्षित व हल्के वजन वाली संरचनाएं बनाने में मदद मिलती है। मुझे विश्वास है कि इससे स्टेनलेस स्टील को पुल निर्माण के लिए पसंदीदा सामग्री के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार करने को बढ़ावा मिलेगा। स्टेनलेस स्टील अपनी मजबूती व वजन, 120 साल तक इस्तेमाल के लायक होने और रखरखाव की किफायती लागत के कारण पुल निर्माण के लिए पसंदीदा सामग्री है।”
मैनुअल के लेखक डॉ. निर्मल्या बंदोपाध्याय ने कहा, “यह मैनुअल भारत में पुल निर्माण के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारे देश की तटरेखा 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी है। इसलिए ज़ंग के कारण होने वाले नुकसान को कम करने में स्टेनलेस स्टील का उपयोग महत्वपूर्ण होगा। इस मैनुअल से भारत में पुल इंजीनियरिंग के अनुसंधान व नवाचार में काफी मदद मिलेगी। मैं सभी संरचना डिजाइनरों, वास्तुकारों, शिक्षाविदों व इंजीनियरिंग के छात्रों को स्टेनलेस स्टील की बहुमुखी प्रकृति को समझने और यह कैसे सबसे सुरक्षित निर्माण सामग्रियों में से एक है, इसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता हूं।”
इंडियन रोड कांग्रेस (आईआरसी), देश के राजमार्ग इंजीनियरों की सर्वोच्च संस्था है, जिसकी स्थापना भारत में सड़क विकास के उद्देश्य से 1934 में भारतीय सड़क विकास समिति की सिफारिशों पर की गई थी। आईआरसी सड़कों, पुलों, सुरंगों के निर्माण और रखरखाव के साथ-साथ सड़क परिवहन से संबंधित सभी विषयों जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण, अनुसंधान, योजना, वित्त, कराधान, संगठन और संबंधित नीतिगत मुद्दों पर जानकारियां साझा करने का एक राष्ट्रीय मंच है।