अहसान फरामोश, लालची और खुदगर्ज इंसानों की वजह से ही वृद्धाश्रम खुल रहे हैं: अनिर्बान मित्रा
कोलकाता,(नि.स.) l प्रसिद्ध लेखक अनिर्बान मित्रा का कहना है, आजकल मनुष्य शिक्षित तथा प्रतिष्ठित होते हुए भी अहसान फरामोश, लालची और खुदगर्ज होते जा रहे हैं. शायद इसी वजह से ही वे अपनी दायित्व से मुकर जाते हैं और फलस्वरूप अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम का दरवाज़ा दिखा देते हैं. वे ये भूल जाते हैं कि एक माता-पिता कितनी चुनौतियों का सामना करने के बाद अपनी संतानों को बड़ा करते हैं.
अनिर्बान अपनी किताब शून्यों थेके नय, योग वियोगेर जय में ऐसी विस्तृत चीज़ों की वर्णना की है.
अनिर्बान कहते हैं, एकदिन ऐसा आएगा जब ऐसी संतानों को भी वृद्धाश्रम का रुख करनी पड़ेगी.
आपको बता दें, अनिर्बान मित्रा ने सरकार से दरख्वास्त भी किया है कि ऐसी अवस्था में असहाय बुजुर्गों के रहने की सुव्यस्था करें ताकि वे अपनी आखिरी ज़िन्दगी खुशी-खुशी बिता सकें.