एक और चमकता सितारा

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कोलकाता, (नि.स.)l  तेज़ भागती हुई इस दुनिया में कई सितारे ऐसे भी हैं जो प्रचार और चमक-दमक से कोसों दूर हैं. लेकिन उनमें प्रतिभाओं की कमी नहीं होती है. ऐसे ही हैं बेहाला के प्रसिद्ध सितारवादक श्री अर्णब भट्टाचार्या. शुरुआती दौर में उन्होंने अपने पिता श्री सपन भट्टाचार्या से तालीम ली. आगे चलकर उन्होंने पंडित बुद्धदेव दासगुप्ता को अपना गुरु बनाया. उन्हीं से लखनऊ की सेनिया शाहजहांपुर घराने के नुस्ख़े सीखें.

अर्णब संगीत के साथ-साथ शिक्षा को भी अलग महत्व दिया करते हैं. इसलिए उन्होंने अलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संगीत प्रभाकर की डिग्री हासिल की है. इतना ही नहीं उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन विषय को लेकर पढ़ाई भी की और इंजीनियरिंग की डिग्री अपने नाम किया.
उनके सितारवादन के लिए कई अवार्ड सरोद सुंदर, सरोद नायक, नबीन सरोद इत्यादि उनको मिले हैं.

वे ताज महल फेस्टिवल, राज्य संगीत अकेडमी, वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल, संकट मोचन फेस्टिवल, जेनिवा ड्रम्स ऐंड म्यूजिक फेस्टिवल, राजा-रानी फेस्टिवल, स्वर फेस्टिवल सिंगापुर, 126 रामकृष्ण मिशन्स जैसे कई समारोह का हिस्सा बन चुके हैं.


भारत, बांग्लादेश, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका, सेंट्रल एशिया, यूनाइटेड स्टेट्स और मॉरीशस के उच्चायुक्त के बुलाने पर उन्होंने उनके द्वारा आयोजित कई समारोह तथा वर्कशॉप में हिस्सा लिया है.

म्यूजिक एक्सटेसी, स्पेक्ट्रम, वर्षा, इवनिंग एक्सटेसी, इन कन्वर्सेशन 1 और 2, डार्क इनसाइड जैसे कई म्यूजिक अलबम उनके नाम दर्ज है.
अक्सर अर्णब विदेशी म्युज़िशियन्स के साथ मिलकर संगीत भी तैयार करते रहते हैं, जो वाकई कर्णप्रिय साबित होते हैं.वे ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के लिए रेग्युलर परफॉर्म भी करते हैं.

आज अर्णब क्लासिकल म्युज़िशियन की श्रेणी में अपने आप को प्रतिष्ठित करने में कामयाब हो चुके हैं.

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