पंडित रोनू मजूमदार को माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया

कोलकाता: प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार को भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया। यह सम्मान माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में प्रदान किया गया। पंडित रोनू मजूमदार ने यह पुरस्कार सम्पूर्ण भारत, अपने माता-पिता और गुरुओं को समर्पित किया।
“इस महत्वपूर्ण क्षण पर पद्म श्री जैसा प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त करना मेरे लिए अत्यंत भावुक और सुखद क्षण है। मैं यह सम्मान समस्त भारतवर्ष को, उन सभी लोगों को जो संगीत की साधना करते हैं और जो इससे जुड़ने का सपना देखते हैं, को समर्पित करता हूं। मेरी माता, जिनकी आंखों में इस सम्मान की खबर सुनकर आंसू थे – यह सम्मान मैं अपनी मां के चरणों में अर्पित करता हूं। साथ ही, मैं यह सम्मान अपने गुरु भारत रत्न रवि शंकर जी, मेरे गुरु पंडित विजय राघव राव, और मेरे प्रथम गुरु एवं पिता, भानु मजूमदार जी,”को समर्पित करता हूं ऎसे पुरस्कार प्राप्ति के बाद पंडित रोनू मजूमदार ने कहा।
उन्होंने आगे कहा, “मैं भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और माननीय गृह मंत्री श्री अमित भाई शाह जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मेरे जीवन के 50 वर्षों के समर्पण को इस क्षेत्र में पहचान दी। मैंने यह उपलब्धि किसी उत्सव के रूप में नहीं मनाई क्योंकि पहलगाम की दुखद घटना ने हम सभी को गहरा शोक पहुंचाया है।
यह सम्मान पंडित रोनू मजूमदार के भारतीय शास्त्रीय संगीत, विशेषकर बांसुरी के क्षेत्र में उनके आजीवन योगदान का प्रमाण है। उन्हें महाराष्ट्र के उन 11 पद्म श्री पुरस्कार विजेताओं में शामिल किया गया जिनकी घोषणा भारत सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की थी।
पद्म श्री सम्मान के प्रत्युत्तर में पंडित रोनू मजूमदार ने अपनी पत्नी आनंदी और पुत्रों सिद्धार्थ व हृषिकेश का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने जीवन के कठिन क्षणों में उन्हें भावनात्मक संबल प्रदान किया। उन्होंने आगे कहा, “यह पुरस्कार मेरे लिए एक टॉनिक के समान है जो मुझे और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा देता है, और मेरे संगीत साधना को आगे बढ़ाने की शक्ति देता है।”
यह मान्यता उनके एक ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद आई है जिसमें उन्होंने 546 संगीतकारों के साथ एक रचना का निर्देशन कर ‘सबसे बड़ा हिंदुस्तानी शास्त्रीय बैंड’ बनाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल किया था।
पंडित रोनू मजूमदार एक सुप्रसिद्ध संगीतकार हैं, जिन्हें बांसुरी में उनकी निपुणता और भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा को सहेजने व नवाचार में योगदान के लिए जाना जाता है। वर्षों से उन्होंने कई पुरस्कार और सम्मान अर्जित किए हैं। उनके संगीत संयोजन, प्रस्तुति और वैश्विक सहयोग आज भी संगीत प्रेमियों को प्रेरित करते हैं।
उनकी संगीत यात्रा को उनके पिता डॉ. भानु मजूमदार और प्रसिद्ध गुरु जैसे पं. लक्ष्मण प्रसाद जयपुरवाले तथा पं. विजय राघव राव जैसे महान व्यक्तित्वों ने आकार दिया है। मैहर घराने के शिष्य पंडित रोनू मजूमदार आज भारत के अग्रणी बांसुरी वादकों में गिने जाते हैं। उनका नवोन्मेषी कार्य पारंपरिक और आधुनिक संगीत दोनों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। अपने अनेक सम्मानों में पंडित मजूमदार को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, आदित्य विक्रम बिड़ला पुरस्कार और सहारा इंडिया द्वारा आजीवन उपलब्धि सम्मान प्राप्त हो चुका है।