विश्व वानिकी दिवसः ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ की ओर से विशेष वृक्षारोपण अभियान

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कोलकाताः रविवार को विश्व में वानिकी दिवस मनाया गया। प्रतिवर्ष 21 मार्च को पेड़ों के महत्व के विषय में जन-जागरूकता फैलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘विश्व वानिकी दिवस’ मनाया जाता है। जंगलों के बचाए रखने के लिए वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि संगठन की 23वीं आम बैठक में 21 मार्च को प्रतिवर्ष ‘विश्व वानिकी दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला किया गया था। इसी कड़ी में रविवार को विश्व वानिकी दिवस के मौके पर हरिवंश- ‘चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ की ओर से विशेष वृक्षारोपण अभियान का आयोजन किया गया। इस अभियान को महानगर के न्यूटाउन के एनकेडीए ग्रीन वेर्ज 8, ऐक्शन एरिया टू में आयोजित किया गया। इस खास मौके पर एनकेडीए के चेयरमैन देवाशीष सेन मौजूद रहे। इस अभियान के तहत 1000 वृक्षारोपण किया गया। ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ के मुताबिक यह नागरिकों के एक साथ आने और ठोस प्रयास के साथ ग्लोबल वार्मिंग के वास्तविक खतरे को देखने का एक ईमानदार प्रयास है। पिछले दशकों में हमने जो हरा आवरण खो दिया है, क्या उसे वास्तव में वापस लाया जा सकता है? कोई इसे निश्चित तौर पर नहीं कह सकता है। ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ के अनुसार फिर भी हमें कहीं न कहीं शुरुआत करने की जरूरत है। ऐसे में विश्व वानिकी दिवस से बेहतर शुरुआत करने के लिए बेहतर अन्य और कोई दिन नहीं हो सकता है। पिछले 10 वर्षों में हमने उन पुरुषों और महिलाओं के प्रयासों की प्रशंसा करना सीखा है जिन्होंने अपने हाथों से पूरे जंगलों को लगाकर उसे हराभरा बनाने में मदद की है। ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ का कहना है कि हमने 1000 पौधे लगाने का संकल्प लिया है। ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ के मुताबिक कुछ लोग पूछ सकते हैं, कि इतने भारी संख्या में वृक्षारोपण करना कैसे संभव हो सकता है? ऐसे में इरादा वृक्षारोपण का है, संख्या और क्षेत्र का नहीं। इसके साथ ही विचार अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने का है। हम इसमें जुटे हुए हैं। वानिकी के सभी चैंपियनों में से एक नाम जो जापान की अग्रणी अकीरा मियावाकी है। ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ के अनुसार अन्य अनौपचारिक तरीकों की तुलना में वृक्षारोपण की मियावाकी पद्धति से हमें कई लाभ मिलते हैं। ‘हरिवंश-चिल्ड्रन ऑफ टूमारो’ जो आने वाले पीढ़ियों के लिए उपहार के समान है।

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