पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे क्या… फ्लावर नहीं फायर है

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कोलकाता l शुक्रवार को अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना स्टारर फिल्म पुष्पा-द राइज पार्ट-1रिलीज हुई है। यह फ़िल्म हिंदी, तमिल, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में सिनेमाघरों में रिलीज हुई है.

फ़िल्म की कहानी: यह कहानी शुरू होती है, आंध्र प्रदेश के घने जंगल शेषाचलम से जहां से लाल चंदन की लड़कियों की तस्करी होती है. पुष्पा राज (अल्लू अर्जुन) इन्हीं लकड़ियों की तस्करी करने वाले कोंडा रेड्डी (अजय घोष) के लिए काम करता है. आगे चलकर उसे दूध बेचने वाली श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) से प्यार हो जाता है। अपने तेज़ दिमाग की वजह से वह इसी व्यवसाय के लिए बनी सिंडिकेट का सर्वेसर्वा बन जाता है. और तभी पुलिस इंस्पेक्टर भंवर सिंह शेखावत(फहाद फासिल) की एंट्री होती है. पहले तो पुष्पा उससे दोस्ती कर लेता है लेकिन फ़िल्म समाप्त होने तक दोनों दुश्मन बन जाते है. क्लाइमेक्स के लिए आपको इस फ़िल्म का दूसरा भाग देखना पड़ेगा.

कैसी लगी फ़िल्म: अल्लू का अभिनय देखने लायक था. निर्देशक सुकुमार ने अल्लू को पूरी तरह से निचोड़ लिया है. फ़िल्म के हर एक फ्रेम में अल्लू ही अल्लू नज़र आते हैं. रश्मिका के लिए कुछ करने को नहीं था. फ़िल्म में एक आइटम सॉन्ग है….गोरे मुखड़े पर जिसे सामंथा रुथ प्रभु पर फिल्माया गया है, वह आपके होश उड़ा देगा. फ़िल्म में कई संवाद है, पुष्पा नाम याद मत रखना, सामने कोई भी हो, मैं झुकेगा नहीं…, पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर समझे क्या… फ्लावर नहीं फायर है, जिसे सुनकर आपके अंदर जोश आ जायेगा. पुलिस की भूमिका में फहाद फासिल दमदार लगे.

फ़िल्म की खामियां: अल्लू और रश्मिका के बीच प्यार भरे नोक झोंक के कुछ सिंस रखे गए हैं, जो और बेहतर हो सकते थे. दूसरी तरफ अल्लू और फहाद फासिल के बीच जितने भी दृश्य फ़िल्म के इंटरवल के बाद रखी गई है, वह काफी खींचा गया है.

लेकिन फ़िल्म वाकई दिलचस्प है.

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