बाबा, बेबी, ओ में जिशु को सोलांकी के साथ इश्क़ लड़ाते देखा जाएगा

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विषाक्त माहौल में यह फ़िल्म इन्सान की जय गाथा: शिबोप्रसाद मुखर्जी

कोलकाता, (नि.स)l बांग्ला फ़िल्म बाबा, बेबी, ओ 4 फरवरी, 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म के निर्देशक अरित्र मुखर्जी हैं. फ़िल्म में जिशु सेनगुप्ता, सोलांकी रॉय, गौरव चटर्जी और मैनाक बनर्जी मुख्य भूमिका में हैं. वही अन्य भूमिका में रेशमी सेन, रजत गांगुली और बिदीप्ता चक्रवर्ती हैं. फ़िल्म का निर्माण विंडोज प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है. इसके निर्माता शिबोप्रसाद मुखर्जी और नंदिता रॉय हैं. हाल ही में नन्दन में फ़िल्म का प्रीमियर हुआ.

फ़िल्म की कहानी: मेघ (जिशु सेनगुप्ता) सरोगेसी पद्धति द्वारा पिता बन चुका है. आगे चलकर उसका परिचय एक खिलौने की दुकान की ओनर
बृष्टि (सोलांकी रॉय) से होती है और वे दोनों प्यार में पड़ जाते हैं. बृष्टि को बच्चे बिलकुल पसन्द नहीं है. और इसी उलझन के बीच उन दोनों की ज़िंदगी में शौभिक (किरदार निभाया है गौरव चटर्जी ने) प्रवेश करता है. शौभिक को मेघ से परिचय करवाते वक़्त बृष्टि बताती है कि वह उसका मंगेतर है. यहीं से कहानी में एक नया मोड़ आ जाता है.

कैसी लगी फ़िल्म: अरित्र मुखर्जी की यह दूसरी फिल्म है. उनकी पहली फ़िल्म ब्रह्मा जानेन गोपोन कम्मोटि काफी समसामयिक थी, जिसने समाज में महिला पुरोहित के अवस्थान का मुद्दा बारीकी से उठाया था. वहीं बाबा, बेबी, ओ में उन्होंने सरोगेसी विषय को उठाते हुए एक प्यार का किस्सा पेश किया है. यह कोई साधारण प्रेम नहीं है. एक 40 साल के उम्रदराज़ आदमी के साथ एक 20 साल की युवती का प्रेम. और उस प्रेम सम्बन्ध में एक लड़की को उसके हमसफ़र में एक पिता की झलक दिखाई देना, वाकई दिल को छू जाता है. यह देखकर आपको फिर से यकीन हो जाएगा कि प्यार किसी उम्र का मोहताज नहीं होता. यह किसी भी उम्र या जगह में हो सकती है. फ़िल्म में जिशु के पिता रमेन (रजत गांगुली) और मां रेशमी सेन (मोलिना) ने भी एक अहम भूमिका निभाई है. जिन्होंने अपने कौतूहल को बखूबी अपने बेटे के समक्ष रखा कि वह बाप कैसे बना. मेघ के दोस्त की भूमिका में राजा (मैनाक बनर्जी) के साथ रमेन के कुछ मज़ाकिया दृश्य आपको आकृष्ट करेगी. बृष्टि की मां के चरित्र में बिदीप्ता चक्रवर्ती ने काफी अच्छा काम किया है. वहीं गौरव ने एक छोटी सी भूमिका में अपनी छाप छोड़ी है. वे वाकई एक स्पोंटेनियस एक्टर हैं. अभिनेत्री सौरासेनी मैत्रा जो मेघ की गर्लफ़्रेंड के तौर पर दिखीं, वे काफी सुंदर लगीं. फ़िल्म में दो जुड़वा बच्चों को देखकर आपका दिल ज़रूर पिघल जाएगा, यह दावे के साथ कहा जा सकता है. इस फ़िल्म में निर्देशक ने दो और अहम मुद्दे को बखूबी उठाया है, पहला यह कि एक पुरुष ही नहीं बल्कि एक महिला भी अपने संसार को बचाने की खातिर कई चीज़ों को दिल में दबाकर रखती हैं. चाहे उनको कितने ही दुःख क्यों न सहना पड़े. वहीं वयस्क आदमियों में महिलाओं को कुप्रस्ताव देने की बीमारी, आपको सोचने पर मजबूर करेगी.
इन सब से इतर फ़िल्म का जो म्यूज़िक है, वह लाजवाब है. अमित-ईशान और चमक हसन ने इसका म्यूज़िक किया है जो फ़िल्म को एक अलग पहचान दिलाती है. फ़िल्म के सारे गाने कर्णप्रिय हैं, उनमें से खास है, एई मायाबी चांदेर राते. फ़िल्म की कहानी को जिनिया सेन ने बखूबी लिखी है. अगर स्क्रिप्ट की बात करें तो यह और भी दमदार हो सकता था. वैसे फ़िल्म देखने लायक है.

प्रीमियर के मौके पर किसने क्या कहा-

अरित्र मुख़र्जी, निर्देशक-एक प्यार भरी कहानी बयान करेगी बाबा, बेबी, ओ. हर एक लड़की वो जिससे प्यार करती है, उसमें एक पिता की झलक देखने में विश्वास रखतीं हैं, इस मुद्दे को भी बारीकी से उठाया गया है.

जिशु सेनगुप्ता (अभिनेता) – हालांकि सोलांकी की यह पहली फ़िल्म है. उसे इस फ़िल्म में अभिनय करते देखना दिलचस्प साबित होगा. दूसरी तरफ दोनों बच्चों के साथ अभिनय करना यादगार रहेगा.

जिनिया सेन ( राइटर, स्क्रीनप्ले ): मेरे भईया ने सरोगेसी पद्धति की मदद से बच्चा लिया है. इसलिए सरोगेसी विषय को लेकर फ़िल्म की कहानी को लिखना मेरे लिए आसान था.

शिबोप्रसाद मुखर्जी (अभिनेता, फ़िल्म निर्माता तथा निर्देशक): लॉकडाउन के दौरान इस फ़िल्म की शूटिंग की गई है. मेरे ख्याल से विषाक्त माहौल में यह फ़िल्म इन्सान की जय गाथा है. यानी कोई भी विषाक्त माहौल इंसानों की जयगाथा को नहीं रोक सकती.

मोनामी घोष (अभिनेत्री) : अब जाकर इस फ़िल्म के साथ सरोगेसी का मुद्दा समाज में फैलेगा. विंडोज की हर एक फ़िल्म मुझे लुभाती है. इनकी एक और फ़िल्म बेलाशुरू रिलीज़ होने के कगार पर है. उसे देखने के लिए बेताब हूं.

मैनाक बनर्जी (अभिनेता): काफी दिनों बाद इस फ़िल्म को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. वाकई दिल को सुकून मिल रहा है. इस फ़िल्म में मेरे किरदार के बारे में पहले से ही लोग जान चुके हैं. जो अपने आप में एक अच्छी बात है.

सौरासेनी मैत्रा (अभिनेत्री) : इस फ़िल्म में जिशु सेनगुप्ता को देखकर काफी एक्ससाइटेड हूं. उनके साथ कम करना दिलचस्प रहा. जहां तक सरोगेसी की बात है, आजकल आईवीएफ, एडॉप्शन इत्यादि पद्धति कारगर साबित हो रही हैं. वक़्त के साथ सब कुछ नॉर्मल हो जाता है.

सोलांकी रॉय (अभिनेत्री) : लव स्टोरी पढ़ना और उससे जुड़ी फिल्मों में काम करने का काफी शौक था, जो इस फ़िल्म के साथ पूरी हो चुकी है. दूसरी तरफ जिशु सेनगुप्ता के साथ अभिनय करने की भी इच्छा थी. वैसे इस फ़िल्म में बच्चों के साथ काम करना मजेदार रहा.

ईमान चक्रवर्ती (सिंगर) : अगर ऐसी नौबत आती है कि सरोगेसी पद्धति से मुझे बच्चे लेने हैं, तो मुझे कोई हर्ज नहीं.

अपराजिता आध्या(अभिनेत्री) : विंडोज की यह फ़िल्म माइलस्टोन साबित होगी.

बिदीप्ता चक्रवर्ती : यह एक प्यार भरी फ़िल्म है. मेरे ख्याल से किसी भी उम्र में प्यार हो सकता है. यह मैंने अपनी निजी जिंदगी में भी साबित कर दिखाया है.

सोमलता आचार्या (सिंगर) : इस फ़िल्म को देखने के बाद लोगों में सरोगेसी को लेकर जिज्ञासा कम होगी.

फ़िल्म देखने के बाद प्रतिक्रिया:

स्वस्तिका दत्ता (अभिनेत्री): यह एक ऐसी फिल्म है, जिसमें सारे एलिमेंट्स कूट-कूट कर भरे हुए हैं.

इस अवसर पर सोमनाथ भट्टाचार्या, रिद्धि सेन, कौशिक सेन, सुरँगना बंद्योपाध्याय, नंदिता रॉय, धिमान दास, गौरव चटर्जी, देवलीना कुमार, सायंतनी, लग्नजीता चक्रवर्ती, श्रीकांत मोहता सहित कई लोग मौजूद थे.

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