सौमित्र चटर्जी की याद में रितुपर्णा हुई भावुक

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कोलकाता, नि.स. l जब अपने किसी करीबी रिश्तेदार की मौत हो जाती है तो इंसान किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता है. क्या बोले, क्या करें उसे कुछ भी समझ मे नहीं आता है. आज सौमित्र चटर्जी का निधन हो गया है. पता नहीं कि किस तरह से मैं अपने आप को संभालूंगी, जी हां, आज दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर विख्यात अभिनेता सौमित्र चटर्जी का निधन हो गया है, और उनकी याद में अभिनेत्री रितुपर्णा सेनगुप्ता ने उपरोक्त बातें कही.


उन्होंने कहा, सौमित्र भईया अपने पूरे करियर में कई बार बीमार हुए. लेकिन हर बार वे लौटकर आये और हम सबको खुशियां दिलाई. लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

रितुपर्णा ने कहा, आज से 25-26 साल पहले जब मैं अभिनय करने के लिए आई थी, तो मुझे सौमित्र दा से जितना प्यार और आशीर्वाद मिला शायद ही और किसी से मिला होगा. करियर की शुरुआत में मैंने बांग्ला फ़िल्म ‘श्वेत पाथोरेर थाला’ के साथ-साथ ‘शेष चिठी’ नामक एक फ़िल्म में अभिनय किया था उसमें अभिनेत्री तनुजा के साथ सौमित्र दा थे, तब उनके साथ अभिनय करने में काफी डर लगता था. लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गये मेरी नजदीकियां उनसे बढ़ती गई, तब जाकर मैंने उनसे एकदिन पूछा था आप जैसा हैंडसम इंसान मैंने ज़िंदगी में नहीं देखा है. दरअसल वे काफी रंगीन शर्ट्स पहनते थे, कभी-कभी उसे दिखाकर मुझे बोलते थे कि देखो इसे मेरी गर्लफ्रैंड ने जर्मनी से भेजा है.


उन्होंने आगे कहा, अब कुछ दिनों पहले उनके साथ ‘बासु परिवार’ की शूटिंग कर रही थी, उस फिल्म में अपर्णा सेन भी थी. मैंने देखा कि सेट पर कोई जीवनानंद तो कोई रवींद्रनाथ को लेकर चर्चा में लगे थे. वाकई सौमित्र दा का लेवल ही कुछ और ही था.


मैंने उनके साथ कई बड़ी-बड़ी फिल्में आरोहण, पारोमितार एक दिन इत्यादि की है. और जिस फ़िल्म ने बांग्ला फ़िल्म जगत का इतिहास ही बदल दिया था ‘बेला शेषे’, उसमें पिता और बेटी का जो सीक्वेंस था, आज भी लोगों के आंखों के सामने घूमता है. एक और बांग्ला फ़िल्म बेला शुरू में भी मैंने उनके साथ काम किया है, जो बहुत जल्द रिलीज़ होगी, इस फ़िल्म में भी पिता और बेटी का जो सीक्वेंस है, वह जरुर रंग लाएगी.


रितुपर्णा ने कहा, सौमित्र दा बांग्ला भाषा से बेहद प्यार करते थे, इसलिए उन्होंने इस भाषा को कई माध्यम के ज़रिए दुनिया के सामने प्रस्तुत किया. शायद इसलिए वे इस भाषा को एक ऊंचाई तक पहुंचाने में कामयाब हुए.

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