जाग्रता का प्रीमियर सम्पन्न

Spread the love

कोलकाता,(नि.स.)l गत रविवार न्यूटाउन स्थित आर्ट्स एकर में जयदीप राऊत निर्देशित बांग्ला शॉर्ट फ़िल्म जाग्रता का फ़िल्म से जुड़े सभी कलाकारों की उपस्थिति में प्रीमियर हुआ. यह फ़िल्म प्रख्यात लेखक बलाई चंद मुखोपाध्याय की लिखी हुई कहानी जाग्रत देवता पर आधारित है. इस फ़िल्म में रजताभ दत्ता, अनुजय चटर्जी और निशात फरहान ने मुख्य भूमिका निभाई है.

फ़िल्म की कहानी– देश के शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में अंधविश्वास का प्रभाव अधिक देखा जाता है. जहां अनजाने में ही लोग मान्यताएं और संस्कृति के नाम पर अंधविश्वास का शिकार हो जाते हैं. शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण ही ऐसे मामले सामने आते हैं. दरअसल अंधविश्वास का मूल कारण व्यक्ति के अंदर का डर होता है. जाग्रता फ़िल्म की कहानी भी एक ऐसी ही एक गांव की कहानी बयां करती है, जहाँ प्रत्येक वर्ष मां काली की पूजा के दिन कोई ना कोई पागल हो जाता है. और उस गांव के मुख्य पुजारी को भी यकीन होता है कि यही सच है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो घोर अनर्थ हो जाएगा. आगे चलकर एकदिन ऐसा आता है कि वह खुद ही पागल हो जााता है.

कैसी लगी फ़िल्म: इस फ़िल्म में रजताभ दत्ता ने एक गांव के मुख्य पुजारी का किरदार निभाया है. देखकर ऐसा लगा कि मानों उन्होंने इस किरदार को पर्दे पर जिया है. अभिनेत्री निशात फरहान और अनुजय चट्टोपाध्याय की छोटी सी भूमिका थी. लेकिन दोनों ने ही अपने किरदार को बखूबी निभाया है. फ़िल्म के अंत मे एक गीत का प्रयोग किया गया है, जो फ़िल्म के क्लाइमेक्स को और चार चांद लगा देता है. फ़िल्म फेस्टिवल्स के टिपिकल दर्शकों के लिए अच्छी है.

किसने क्या कहा-रजताभ दत्ता ने कहा, मैंने पहले भी जयदीप राउत के साथ काम किया है. इसलिए मुझे उनपर यकीन था कि वे एक अच्छी फ़िल्म का निर्माण करने वाले हैं. दूसरी तरफ निशात फरहान ने कहा, यह मेरी पहली फ़िल्म है. फ़िल्म से मुझे काफी उम्मीदें हैं. प्रीमियर का लुत्फ उठाते हुए अनुजय चट्टोपाध्याय ने कहा, फ़िल्म की कहानी जोरदार है. उम्मीद है कि लोगों को यह पसंद आएगी. वहीं जयदीप राउत ने कहा, रजताभ दत्ता के लिए यह फ़िल्म लोगों को देखनी पड़ेगी. मौके पर कवितार कक्षपथ साहित्य पत्रिका के साधरण सम्पादक उज्ज्वल चौधरी, सम्पादक सुपर्णा चक्रवर्ती और सभापति मैत्रेयी चक्रवर्ती ने कहा, बांग्ला साहित्य पर काफी कम फिल्में बनती हैं. इस फ़िल्म को देखने के बाद शायद लोग बांग्ला साहित्य को तवज़्ज़ो देने लगेंगे.कार्यक्रम के दौरान उपस्थित शाश्वती देब ने कहा, इस फ़िल्म में मैंने एक नर्तकी की भूमिका अदा की है. मुझे इसे अंजाम देने में काफी खुशी महसूस हुई. दूसरी तरफ मशहूर पेंटर शुभाप्रसन्ना ने कहा, यह फ़िल्म मशहूर लेखक बलाई चंद मुखोपाध्याय की कहानी पर आधारित है. इसलिए मुझे इस फ़िल्म को देखने की खासी दिलचस्पी थी. वाकई बढ़िया फ़िल्म थी.

Author