आखिर इस मास्क के पीछे छुपा है कैसा राज ?

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आशीष द्वारा लिखी स्क्रिप्ट का हुआ मैं कायल: बृजेन्द्र काला

कोलकाता, नि.स। पिछले साल आई कोरोना महामारी ने आज कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. कोई कहता है ये सब ढकोसला है. फिर कोई इसे पॉलिटिक्स का दर्जा देता है. कोई कहता है कर्ज में डूबे लोगों के लिए ये एक सहूलियत का रास्ता है, इत्यादि.

उपरोक्त विषय के मद्देनजर निर्देशक आशीष कुमार ने एक पूरी फिल्म की स्क्रिप्ट लिख डाली है. वे खुद भी कहते हैं, पता नहीं वाकई कोरोना नाम की कोई चीज़ यहां विराजमान है या नहीं. क्योंकि एक चायवाला भी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की बात करता है. इसलिए वे हमेशा असमंजस में रहते थे और यही सोचा करते थे कि आखिर क्या है माजरा. लेकिन दुनायदारी भी तो निभानी होगी. और इसी दुविधा में रहकर ही उन्होंने हिंदी फिल्म मास्क की स्क्रिप्ट लिखी है.

दरअसल गत सोमवार को महानगर में आयोजित उपरोक्त फ़िल्म की शूटिंग के दौरान निर्देशक आशीष कुमार ने कुछ ऐसा ही खुलासा किया है.

इस फ़िल्म में बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता बृजेन्द्र काला मुख्य भूमिका में हैं. आर एन एंटरटेनमेंट और पैशन टॉकीज के बैनर तले इस फ़िल्म का निर्माण किया जा रहा है. इस फ़िल्म के निर्माता प्रदीप अग्रवाल और विल्सन आज़मी हैं. तोचि रैना ने इस फ़िल्म के टाइटल ट्रैक के लिए अपनी आवाज़ दी है.
फ़िल्म की कहानी की अगर बात करें तो ये कहानी प्रवीण तिवारी नामक एक साधारण इंसान की है. जो कोरोना काल में मास्क पहनना ज़रूरी नहीं समझता है. और इस वजह से उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पूरी फ़िल्म की कहानी इसी विषय के इर्द-गिर्द घूमती है.

शूटिंग के दौरान जब आशीष से फ़िल्म के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, फ़िल्म का जो सब्जेक्ट है वह बिलकुल सीरियस नहीं है. बल्कि ये ऋषिकेश मुखर्जी स्कूल ऑफ फ़िल्म जैसी ही है. मास्क मैंने एक बैकड्रॉप की हैसियत से इस्तेमाल किया है. ये कहानी प्रवीण तिवारी (बृजेन्द्र काला) नामक एक साधारण इंसान की है, जो ये नहीं मानता है कि मास्क उसे कोरोना से बचा सकता है. और मास्क ना पहनने पर उसे काफी सारी तकलीफें उठानी पड़ती है. बाजार जाता है तो उसे सब्जीवाला भगा देता है, बिना मास्क के बस कंडक्टर उसे बस से उतार देता है. लेकिन तिवारी अपने कन्विक्शन पर अड़ा रहता है. आगे चलकर वो अपनी पत्नी से भी झगड़ा मोल लेता है.
कहानी का दूसरा पहलू ये भी है कि तिवारी को कुछ मेडिकल इश्यूज भी हैं, जिसकी वजह से वह मास्क से परहेज़ करता है. तिवारी की एक सोच ये भी होती है कि बचपन में पैदा होते ही समाज सबको एक कायदे में बांध कर रखता है. पिताजी कहते हैं पढ़ाई करो। शादी के बाद बीवी कहती है नौकरी करो. अब सरकार कह रही है कि मास्क पहनो. दरअसल वो मस्तमौला किस्म का इंसान है, उसे कोई भी चीज़ बांधे नहीं रख सकती है. जब कभी मन करता है तो वह अपनी नौकरी को भी अलविदा कह देता है. लेकिन इन सबसे हटकर फ़िल्म का जो क्लाइमेक्स है वह काफी इंटरेस्टिंग है.

आशीष से जब ये पूछा गया कि आपने टाइटल ट्रेक तोचि रैना से क्यों गवाया है, जवाब में उन्होंने कहा, मेरा जो किरदार है वह सभी रुकावटों से अलग होकर एक उड़ान भरना चाहता है और तोचि जैसा सूफी सिंगर ही अपनी आवाज़ की जादूगरी से कुछ ऐसा माहौल बना सकता है. उनकी आवाज में वो जादू है.

आपको बता दें, मास्क 40 मिनट की फ़िल्म है, जो मार्च महीने में रिलीज़ होगी.

वहीं शूटिंग का लुत्फ उठाते हुए बृजेन्द्र काला ने अपने किरदार प्रवीण तिवारी के बारे में बातचीत करते हुए कहा, मेरा जो किरदार है उसकी ये अवधारणा है कि कोरोना पूरे विश्व को परेशान कर सकता है, लेकिन उसे छू तक नहीं सकता. वो समझता है कि ये सरासर एक अफवाह है और उसकी आड़ में कई लोग इसका भरपूर फायदा उठा रहे हैं. कोई मास्क, तो कोई सैनिटाइजर बेचकर लोगों को लूट रहा है.

जब बृजेन्द्र से निर्देशक आशीष कुमार के साथ काम करने का अनुभव पूछा गया तो उसके जवाब में उन्होंने कहा, जब आशीष ने पहली बार मुझे स्क्रिप्ट सुनाई थी, उसे सुनते ही मैं उसका कायल हो गया था. मैंने यह फ़िल्म करने के लिए तुरंत हामी भर दी थी. आशीष को वाकई अपनी लिखे हुए किरदारों के बारे में समझ है. वह इसकी गहराइयों को समझता है.

‘यहां के लोग अपने काम के प्रति काफी पैशनेट होते हैं. आज हम लोग एक बाज़ार में शूट कर रहे थे, तो अचानक आशीष ने कहा कि एक दुबला पतला आदमी मिल जाता तो बढ़िया होता. इतने में एक आदमी हूबहू वैसा ही मिल जाता है. उसे सिर्फ बुलाया जाता है और मैंने देखा कि कुछ भी जाने बगैर वह अपना बैग वगैरह छोड़कर शॉट देने के लिए खड़ा हो गया. वाकई महानगर में कला लोगों के रग-रग में बसा हुआ है.

आपको बता दें, सोनम गुप्ता बेवफा, बंटी-बबली 2, 83 और शेरनी बृजेन्द्र की आनेवाली फिल्मों में खास है.

दूसरी तरफ शूटिंग के दौरान उपस्थित फ़िल्म की एक और नायिका मोना शर्मा ने अपने किरदार के बारे में बातचीत करते हुए कहा, इस फ़िल्म में मैं कविता नामक एक किरदार में हूं, जो कि एक बैंक वर्कर है. उसे बैंक का गॉर्ड प्रवीण तिवारी खूब पसन्द किया करता है. वैसे मेरा चरित्र काफी बोल्ड है.

‘फ़िल्म की कहानी शानदार है और इस फ़िल्म से मेरी काफी उम्मीदें हैं,’ जी हां, फिल्म के बारे में बातचीत करते हुए इस फ़िल्म के निर्माता श्री प्रदीप अग्रवाल ने कुछ ऐसा ही कहा.

अब देखना है कि ये मास्क बाजार में अपनी पहचान बनाने में कितनी कामयाब हो पाती है. ये तो वक्त ही बताएगा.

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