मणिपाल हॉस्पिटल, ढाकुरिया ने बर्दवान के 38 वर्षीय किसान के हृदय में सफलतापूर्वक सीआरटी-डी डिवाइस प्रत्यारोपित किया

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बर्दवान, 19 जून 2025: बर्दवान जिले के एक 38 वर्षीय पुरुष किसान को तेज़ सीने में दर्द की शिकायत के साथ मणिपाल हॉस्पिटल, ढाकुरिया में भर्ती कराया गया था, जहाँ वरिष्ठ परामर्शदाता हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमंता चट्टोपाध्याय की देखरेख में इलाज शुरू हुआ। ईसीजी रिपोर्ट में पाया गया कि रोगी को एक तीव्र हृदयाघात (एंटीरियर वॉल मायोकार्डियल इंफार्क्शन) हुआ है, जिसमें हृदय के एक बड़े हिस्से में रक्त प्रवाह बंद हो जाता है। उस समय रोगी के हृदय की पंप करने की क्षमता सामान्य की तुलना में केवल 30प्रतिशत रह गई थी। रोगी को तुरंत कैथ लैब में ले जाया गया, जहाँ एंजियोग्राफी से पता चला कि हृदय को रक्त पहुंचाने वाली मुख्य धमनी — लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी — पूरी तरह अवरुद्ध हो गई थी। चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक एक स्टेंट प्रत्यारोपित कर रक्त प्रवाह को पुनर्स्थापित किया। उपचार के बाद रोगी की स्थिति में सुधार हुआ और तीन दिनों के भीतर उन्हें छुट्टी दे दी गई।

हालांकि, अगले तीन महीनों के फॉलोअप में देखा गया कि रोगी को हल्का कार्य करने पर भी सांस फूलने की समस्या हो रही थी। रात के समय सांस घुटने से नींद टूट जाती थी — इस स्थिति को पैरोक्सिसमल नॉक्चर्नल डिस्पनिया कहा जाता है। दोबारा ईसीजी जांच में यह भी सामने आया कि हृदय की विद्युत प्रणाली ठीक से समन्वय नहीं कर रही थी, और हृदय की पंपिंग क्षमता अब भी कम बनी हुई थी।

स्थिति को गंभीर देखते हुए, डॉ. चट्टोपाध्याय और उनकी टीम ने रोगी के हृदय में सीआरटी-डी (कार्डियक रिसिंक्रोनाइज़ेशन थेरेपी डिवाइस विद डिफिब्रिलेटर) प्रत्यारोपित करने का निर्णय लिया। यह एक विशेष प्रकार का डिवाइस है, जो हृदय की विद्युत तरंगों को सुधारकर हृदयगति को समन्वित करता है, हृदय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है और अगर कोई घातक लय (डेंजरस रिदम) पाई जाती है, तो तत्काल जीवन रक्षक शॉक देकर रोगी को कार्डियक अरेस्ट से बचाता है। यह प्रक्रिया सफल रही और कुछ ही हफ्तों में रोगी की हृदय कार्यक्षमता बढ़कर 45प्रतिशत तक पहुँच गई। उन्होंने बेहतर महसूस करना शुरू किया और आज वे अपने खेतों में वापस काम कर रहे हैं — नई ऊर्जा और आशा के साथ।

इस मामले पर टिप्पणी करते हुए, डॉ. सुमंता चट्टोपाध्याय ने कहा, “जब यह रोगी हमारे पास आया, तब वह हृदय विफलता के उच्च जोखिम में था — यह केवल उसके जीवन का नहीं बल्कि उसकी जीविका का भी संकट था। समय पर आपातकालीन चिकित्सा और उन्नत कार्डियक डिवाइस थेरेपी के संयोजन से हम सिर्फ एक जीवन ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की क्षमता भी वापस दे पाए। यही आधुनिक हृदय चिकित्सा की ताकत है, और मणिपाल हॉस्पिटल्स में हम हर दिन इसी बदलाव के लिए प्रयासरत हैं।”

रोगी ने कहा, “जिस दिन मेरे सीने में असहनीय दर्द हुआ, मुझे लगा मेरी ज़िंदगी और मेरा काम सब खत्म हो गया। एक किसान के लिए उसकी ताकत ही उसकी जमीन, उसका परिवार और उसकी इज़्ज़त है। मणिपाल हॉस्पिटल्स ने मुझे दूसरी ज़िंदगी दी। जो सांस लेना मुश्किल था, आज मैं फिर से अपने खेतों में चल रहा हूँ। ऐसा लगता है जैसे मेरा पुनर्जन्म हुआ हो। मैं उन सभी डॉक्टरों का जीवन भर ऋणी रहूंगा जिन्होंने न सिर्फ मुझे बचाया, बल्कि मेरे परिवार को भी सहारा दिया।”

मणिपाल हॉस्पिटल को विशिष्ट बनाता है केवल इसका आकार नहीं, बल्कि संकट की घड़ी में तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता। चाहे स्टेंटिंग प्रक्रिया के दौरान कोई जटिलता हो या ऑपरेशन के बाद की कोई आपात स्थिति — कोलकाता में मणिपाल हॉस्पिटल्स के सभी केंद्रों में कुल 500 से अधिक गहन चिकित्सा बेड, 75 विशेषज्ञ हृदय रोग विशेषज्ञ, 15 अनुभवी हृदय व क्षीरधमनी शल्य चिकित्सक (CTVS), तथा 7 अत्याधुनिक कैथ लैब्स उपलब्ध हैं। 24×7 आपातकालीन टीमें और इन-हाउस विशेषज्ञ हर समय निर्णय लेने के लिए तत्पर रहते हैं।हर साल यहाँ 30,000 से अधिक कार्डियक प्रक्रियाएं और 3,000 से अधिक हृदय शल्यचिकित्साएं की जाती हैं।

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