एक बेहतर कल के लिए बढ़ा हाथ ‘द बंगाल’ और ‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ की संयुक्त पहल से शुरू हुआ “राहत” योजना

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कोलकाता: इतिहास ने हर बार यह सिद्ध किया है कि संकट, लाचारी और नुकसान के भयावह पल के बीच मानवता हमेशा मजबूत रहती है, क्योंकि उस समय लोग एक दूसरे के साथ खड़े मिलते हैं। इन दिनों पूरी दुनियां में मानव जाति को सबसे खराब संकट के दौर से गुजरना पड़ रहा है, क्योंकि कोविड -19 महामारी से पूरी दुनिया भर में लोगों की जीवन और आजीविका प्रभावित हुई है, लोग इन दिनों हताशा और बेसहारा के पल जीने को मजबूर हैं। इस कठिन घड़ी में कई सामाजिक संस्थाएं इन दिनों लोगों‍ की सेवा करने और उनकी जान बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है।

इसी कड़ी में ‘द बंगाल’, एक सामाजिक संस्था, जिसमें पश्चिम बंगाल में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तित्व और विचारक शामिल हैं, इस मंच पर सभी एक साथ आये हैं और इस महामारी का मुकाबला करने के लिए एकजुट हुए है। इस विकट परिस्थिति में समाज के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हुए अनुदान देने और राहत सामग्री का वितरण करने का उन्होंने निर्णय लिया है। इस सराहनीय कदम के पीछे समाज के कुछ ऐसे विशिष्ट लोगों का हाथ है, जिन्होंने अपनी सोच से इस महामारी का मुकाबला करने के लिए सबसे अनोखे तरीके को ढूंढ निकाला है। ‘द बंगाल’ ने प्रभा खेतान फाउंडेशन के साथ मिलकर ‘राहत’ नामक एक पहल शुरू किया है। इस पहल के तहत एक साथ मिलकर महामारी का मुकाबला करने का फैसला लिया गया है। इसके पहले भी ‘राहत’ के जरिये अम्फन के बाद जरूरतमंदों में राहत सामग्री का वितरण किया गया था। जिससे लोगों को काफी मदद मिली थी।

अब ‘राहत‘ प्रयास के जरिये ‘द बंगाल’ ने एक अनुदान अभियान चलाया है, जहां लोगों से वह योगदान देकर मौजूदा महामारी से लड़ने के पुण्य में शामिल होने की गुजारिश कर रहे हैं। लोग अपने अनुदान के तौर पर आर्थिक राशि के बदले विभिन्न तरह की यह सेवाएं जैसे- कोरोना के इलाज में उपयोगी दवाएं, ऑक्सीमीटर, मेडिकल ऑक्सीजन सिेंलिंडल, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, अस्पताल में बेड डोनेट करना या फिर किसी भी अन्य तरीके से वे अपना अनुदान दे सकते हैं। मूल रूप से ‘द बंगाल’ मौजूदा समय में कोविड राहत सामग्री का एक बैंक बना रहा है। इसमें ‘द बंगाल’ के दानदाताओं और कोविड राहत एजेंसियों के बीच एक कड़ी का निर्माण किया जायेगा, जिससे राहत देने में तेजी आयेगी और पीड़ितों को जल्द मदद मिल सकेगा.

अगर कोई नगद देकर मदद करना चाहता है तो ‘द बंगाल’ उसका संपर्क कोविड राहत सामग्रियों की खरीदारी के लिए वेंडरों से करा सकता है. इस विधि के जरिये समूची व्यवस्था में पारदर्शिता बरती गयी है. पहले ही ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीमीटर, दवाएं, अस्पतालों में बेड का दान करना जैसी कई एनजीओ/सेफ होम में जैसे कि प्रयास फाउंडेशन, आइएचए, ओटूकेयू शॉबार, कलकत्ता फाउंडेशन, 87 वार्ड सेफ होम आदि को मुहैया किया गया हैं. पूरा विश्व जहां संक्रमण के मामलों के घटने का इंतजार कर रहा है, वहीं ‘द बंगाल’ कोरोना की पूरी तरह रोकथाम करने और मानवजाति के लिए खतरा न होने तक यह परिसेवा देने के प्रति वचनबद्ध है।

‘द बंगाल’ की तरफ से ईशा दत्ता, नीलांजना सेनगुप्ता और स्वरूप दत्ता इस परियोजना का दायित्व संभाल रही हैं। ईशा का कहना है कि मुसीबत की इस कठिन घड़ी में जहां राज्यभर में फ्रंटलाइन वर्कर अपने संबंधित क्षेत्र में अपने तरीके से सेवाएं दे रहे हैं, इसी तरह ‘द बंगाल’ भी इस नेक काम के लिए आगे आया है, जिससे ऐसे लोगों को मदद मिल सके जो फील्ड में काम कर रहे हैं.

नीलांजना सेनगुप्ता के अनुसार ‘द बंगाल’ से जुड़कर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है। यह संस्था महामारी के दौरान लोगों की हर तरह से मदद के लिए तत्पर रहती है। ‘द बंगाल’ के सदस्य एवं अधिकारी इसके लिए हमेशा से एकजुट होकर नि:स्वार्थ भाव से सेवाकार्य करते रहते हैं.

मनीषा रामपुरिया नामक एक दानदाता का कहना है कि समाज में चारों ओर की मौजूदा स्थिति को देखकर उनका मन काफी दुखी रहता हैं। उनका यह निजी मानना है कि यह समय उनके लिए बेहतर मौका है जब आगे आकर जो बन पड़े वह मदद कर रही है। उनका कहना है कि जरूरी नहीं कि मदद बड़े पैमाने पर ही किया जाये, अपने सामर्थ के मुताबिक हर छोटी मदद मायने रखती है।

गौतम घोष (कार्यवाहक अध्यक्ष, द बंगाल एवं फिल्मकार ) कहते हैं कि, इतिहास में हम जब पीछे की तरफ झांकते हैं, विशेषकर इसके पहले प्लेग नामक महामारी के दौरान इसी तरह से सिस्टर निवेदिता, रवींद्रनाथ टैगोर व कई अन्य समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के लोग आगे आये थे और आगे आकर समाज में असहाय लोगों के प्रति मदद का हाथ बढ़ाया था।

‘द बंगाल’ के मानद सचिव संदीप भुतोड़िया का कहना हैं कि, कोरोना महामारी इन दिनों लोगों के उपर रोजाना नयी मुसीबतें ढा रही है, ऐसे में लोग खुद को काफी असहाय महसूस कर रहे हैं। ऑक्सीजन सिलिंडरों और हॉस्पिटल में बेड की कमी ने यह खतरा और बढ़ा दिया है। यह वह समय है जब मानवता को फिर से एकजुट होने की जरूरत है। द बंगाल का इरादा कोविड-19 का कड़े तरीके से मुकाबला करना है। हम अनुदान ले रहे हैं ताकि इस वायरस से पीड़ित एवं इस कठिन घड़ी में समाज में आर्थिक रुप से कमजोर लोगों के बीच यह मदद पहुंचाया जा सके।

‘द बंगाल’ के सदस्यों में एचएम बांगड़, अनिरुद्ध रॉय चौधरी, अरिंदम सील, आनंदी घोष, जोगेन चौधरी, अग्निमित्रा पॉल, विक्रम घोष, डोना गांगुली, नयनतारा पाल चौधरी, संदीप भुतोड़िया, गौतम घोष, जून मालिया, के. जावेद युसुफ, डॉ मंसूर आलम, शीर्षेंदु मुखोपाध्याय एवं उषा उत्थुप जैसे समाज के शीर्ष प्रतिभावान व्यक्तित्व शामिल है।

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