कामयाबी के शिखर तक पहुंचने वाले लोग सीढ़ियों को कहां याद रख पाते हैं

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कोलकाता, (नि.स.)l  एक समय था, जब गुरु को गुरुदक्षिणा देने की एक परम्परा थी. एकलव्य ने भी अपने गुरु द्रोणाचार्य के लिए अंगूठा कटवा दिया था. लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल चुका है. आजकल हर एक शिष्य अपने लक्ष्य तक पहुंचने के बाद ये सोचता है कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए वह खुद काबिल था. वे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देना तो दूर की बात उनसे संपर्क भी तोड़ देते हैं.


कुछ ऐसा ही हाल है महानगर स्थित ढाकुरिया के रहनेवाले एक फ़िल्ममेकर का. बचपन से ही उनको अभिनय करने का बेहद शौक था. काफी फिल्मों और नाटकों में उन्होंने अपने जलवे भी बिखेरे. उस दौरान उन्होंने देखा कि नए लोगों के लिए फ़िल्म इंडस्ट्री का दुर्व्यवहार. जो वाकई उनके लिए असहनीय सा था. तब जाकर उन्होंने मन ही मन ठान ली थी कि जिस दिन वे अपने निर्देशन में फिल्में बनाएंगे उस दिन वे नौसिखुए को भी मौका देंगे. देखते ही देखते वो दिन आ ही गया जब उनको बांग्ला फ़िल्म ‘छिप सूतो चार’ को बनाने का मौका मिल गया. उन्होंने एक नहीं, दो नहीं बल्कि एक झुंड लोगों को अपनी फिल्म में काम करने का मौका दिया. प्रत्येक को हाथ पकड़कर शॉट दिलाना सिखाया इत्यादि. फ़िल्म रिलीज़ हुई और हिट साबित हुई. अब उनका अगला प्रोजेक्ट था जोकर, जो पिछले साल रिलीज़ होनेवाली थी, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से रिलीज़ को आगे बढ़ाना पड़ा. फ़िल्म इस वर्ष 5 मार्च 2021को रिलीज़ हुई. कुल मिलाकर 8 सिनेमाघरों में इसे रिलीज़ किया गया. पिछले एक साल से फ़िल्म को रिलीज करवाने की खातिर उन्होंने 4 लाख रुपये जमा करवाए थे और सफलतापूर्वक उसे रिलीज़ किया. ताकि इस फ़िल्म से जुड़े जितने भी लोग हैं, उनकी झोली में एक और फ़िल्म शामिल हो जाए. इस फ़िल्म को भी लोगों में काफी सराहा. कई प्रेक्षागृह में फ़िल्म 4 हफ्तों से चल रही है.
अब उनकी आनेवाली फिल्मों में बारोमाश्या और चरैवेति प्रमुख हैं.जी हां, हम निर्देशक, लेखक व अभिनेता जय भट्टाचार्या को लेकर यहां चर्चा कर रहे हैं. जय भट्टाचार्या का कहना है कि अगर मेरी सारी फिल्मों को मिलाया जाए तो 100 से भी ज़्यादा लोग मुझसे जुड़े लेकिन फ़िल्म के रिलीज़ होते ही कोई मुझे पूछता तक नहीं. यहां तक कि मेरे पास उनका फोन तक नहीं आता है. इसको आप क्या कहेंगे…..मानवता. या वे सभी जो एकदिन कुछ नहीं जानते थे आज अपनी मंजिल की ओर बढ़ गए हैं, इसलिए उनको वक़्त नहीं मिलता है. 
जय, खैर जो कुछ भी हो आप अपने काम के प्रति विश्वास रखें, रात जितनी भी गहरी हो, कभी सुना है उसने सुबह होने नहीं दिया होगा?

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