मेरे लिए दिवाली का मतलब दूसरों की ज़िंदगी को रोशन करना है: पौषमीता
साक्षात्कार:सप्तर्षि विश्वास
2019 में उन्होंने धारावाहिक ‘बाघ बन्दी खेला’ से अभिनय जगत में प्रवेश किया था. फिर क्या, देखते ही देखते उन्होंने 13 साल टॉलीवुड इंडस्ट्री में हंसते-खेलते हुए निकाल दिया. हाल ही में उनकी दो बांग्ला फिल्में अन्रेश्वर और अन्तरीन फ्लोर पर गई है. जी हां, हम बात कर रहे हैं टॉलीवुड की एक बेहतरीन अदाकारा पौषमीता गोस्वामी की. हाल ही में उनसे मेरी एक खास मुलाकात हुई है. बातों ही बातों में उन्होंने अपनी ऐक्टिंग कैरियर से जुड़ी कई खास बातों को साझा किया. तो लीजिए पेश है उनसे की गई बातचीत के मुख्य अंश-
1. अपने बचपन के दिनों के बारे में बताएं.
-मेरा बचपन सिलीगुड़ी में बिता है. इसलिए पहाड़ों से मेरा गहरा नाता है. मुझे याद है, मेरा बचपन पहाड़ों की गोदी में बैठकर हंसते-खेलते बीता है। और जब भी मैं दुःखी होती या समस्याओं में उलझ जाती तो पहाड़ों की गोदी में बैठकर मैं एकांत में उनका हल ढूंढा करती थी। वैसे दसवीं की पढ़ाई मैंने सिलीगुड़ी के शारदा शिशु तीर्थ और बारहवीं मैंने सिलीगुड़ी गर्ल्स हाई स्कूल से की है। आगे चलकर स्नातक की पढ़ाई मैंने महानगर में आने के बाद पूरी की है लेकिन आज तक मैं अपने भूगोल सर सुकान्त सरकार को भूल नहीं पाई हूं, जिन्होंने रवींद्रनाथ से लेकर ज़िंदगी के कई अहम पहलुओं से मुझे अवगत करवाया है.
2. आपने अभिनय जगत में किस तरह से प्रवेश किया ?
-मैंने साढ़े तीन साल की उम्र से ही सस्वर पाठ की तालीम लेना शुरू कर दिया था। इसमें भी एक तरह से अभिनय ही करना पड़ता है. वैसे सस्वर पाठ और अभिनय दोनों ही परफॉर्मिंग आर्ट के अंतर्गत आता है. स्कूल में भी थियेटर वगैरह करती थी। तो वहीं से अभिनय करने का चस्का लग चुका था। वैसे प्रोफेशनली मैंने दक्षिणेश्वर के शौभिक नाट्य सांस्कृतिक चक्र से अभिनय के गुर सीखें हैं। आगे चलकर 2019 में मुझे टीवी सीरियल में काम करने का मौका मिला. फ़िलहाल स्टार जलसा में चल रहे धारावाहिक आलता फोरिंग में काम कर रही हूं। यह मेरा नौवां प्रोजेक्ट है.
3.आपका अब तक का सफर कैसा रहा ?
-एक ही सन्तान होने की वजह से मेरे माता-पिता नहीं चाहते थे कि मैं अभिनय जगत में ही अपना कैरियर बनाऊं. लेकिन मैं जानती थी कि मुझे सफलता मिलेगी. वैसे अब तक के सफर में मुझे काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. वैसे अब तक मैंने निर्देशन, अभिनय के अलावा विज्ञापन में अपने आप को खूब आजमाया है.
4. आपके लिए दिवाली का मतलब क्या है ?
– हमेशा से पिछड़े हुए लोगों के लिए काम करना चाहती थी. इसकी शुरुआत मैंने 2017 में अपने ही यू-ट्यूब चैनल से की. मेरे ख्याल से दुःखी और समाज के पिछड़े हुए लोगों का हाथ थामकर उनके होठों पर थोड़ी सी मुस्कान लाई जाए, तो वही मेरे लिए दिवाली की रोशनी जैसी है.
5. आप दिवाली कैसे मनाती हैं ?
-मैंने पहले ही कहा है कि मेरा बचपन सिलीगुड़ी में बिता है. दिवाली में मेरी फूफी अपने बच्चों के संग हमारे घर पर आ जाती थी नहीं तो हम उनके घर चले जाया करते थे. मोमबत्ती जलाने से लेकर हम सभी भाई-बहनें मिलकर खूब मस्ती करते थे. मेरे मामाजी का मकान कुछ ही दूरी पर होने की वजह से वे हमारे लिए पटाखा लेकर आते थे। हम सभी भाई बहनें घर के सामने एक झुंड बनाकर पटाखा जलाया करते थे. अब बड़ी हो गई हूं, इन सब चीज़ों को याद करते हुए समय बीतता है लेकिन दिवाली के अवसर पर फुलझड़ियां जलाना कभी नहीं भूलती. पिछले साल मेरी शादी हुई है, इस वर्ष ससुराल में ही मैं और अर्णब मिलकर दिवाली मनाएंगे.
6. दिवाली के दौरान आपका फैशन स्टेटमेंट कैसा रहता है ?
– साड़ी पहनना पसंद करती हूं. वैसे ब्लैक मेरा फेवरिट कलर है. खासतौर पर मुझे पुराने जमाने का फैशन अपनी ओर खींचता है. इसलिए माथे पर सिंदूर, बिंदी और बालों पर फूलों का गजरा तो अवश्य लगेगा.
7. आपकी ज़िंदगी का कोई फन मोमेंट
-मैंने एक शॉर्ट फिल्म ‘फेस्टिवल मूवी….द अदर साइड’ का निर्देशन किया था. उसमें मैंने हर उस पहलू को दिखाया था, जो एक फ़िल्म बनाने के पीछे होती है. उसमें ये भी था कि हमारी फ़िल्म को कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में दिखाया गया है और सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि इस फ़िल्म का चयन वाकई फिल्मोत्सव में हुआ था और उसी तारीख को दिखाया गया, जो वाकई फ़िल्म में था.
8. आपकी ज़िंदगी का सबसे दुःखद पल
-चूंकि मैं पढ़ाई में तेज थी इसलिए मेरे टीचर ने सोचा था कि मुझे माध्यमिक में जीवन विज्ञान विषय में सर्वाधिक अंक मिलेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. मुझे आजीवन इस बात का अफसोस रहेगा.
9. आपकी आने वाली प्रोजेक्टस के बारे में बताएं
-फ़िलहाल स्टार जलसा में प्रसारित होनेवाली धारावाहिक आलता फोरिंग में पुष्पिता बनर्जी (पुपु) नामक एक नकारात्मक किरदार कर रही हूं. इसके अलावा मैंने अपना यूट्यूब चैनल पौषमीता गोस्वामी के नाम से खोला है. वहां मैं अपने मन मुताबिक काम कर रही हूँ। दरअसल समाज के पिछड़े हुए लोगों की कहानियां इस चैनल के सहारे बताने की कोशिश कर रही हूं, ताकि इन जैसे लोगों की ज़िंदगी में यदि मेरी वजह से थोड़ी सी भी रोशनी पहुंचे तो मैं अपने आपको धन्य मानूंगी।