राधे श्याम को डुबाने के पीछे निर्देशक का सबसे बड़ा हाथ
कोलकाता l राधा कृष्ण कुमार निर्देशित फिल्म राधे श्याम शुक्रवार को रिलीज हुई है. इसमें प्रभास और पूजा हेगड़े मुख्य भूमिका में हैं. वहीं भाग्यश्री, सचिन खेडकर, जगपति बाबू, मुरली शर्मा और कुणाल रॉय कपूर अन्य भूमिका में हैं.
फ़िल्म की कहानी-विक्रमादित्य(प्रभास) को भारतवर्ष का नोस्ट्रेडेमोस कहा जाता है. उसका गुरु उसे ज्योतिष शास्त्र का महागुरु मानता है. आदित्य हाथों की रेखा देखकर किसी का भी पूरा भविष्य बता सकता है. इधर आदित्य को यह भी पता है कि उसके हाथों में प्यार और शादी की रेखाएं नहीं है. इसलिए वह अपनी मां की ज़िम्मेदारी उसके दोस्त के हाथों सौपकर पूरी दुनियां घूमते रहता है. इसी बीच उसकी मुलाकात प्रेरणा(पूजा हेगड़े) से होती है, जो कि एक डॉक्टर है. इधर प्रेरणा को कैंसर है और उसकी मौत 3 महीने के भीतर होनेवाली है. आगे चलकर आदित्य और प्रेरणा दोनों प्यार में पड़ जाते हैं. लेकिन आदित्य उसे बताता है कि उसकी उम्र लम्बी है और वह अपनी पूरी ज़िंदगी जी पाएगी. वह प्रेरणा को ये भी बताता है कि वह प्रेरणा के साथ ज़्यादा दिनों तक नहीं रह सकता. इधर प्रेरणा तय कर लेती है, अगर आदित्य उसकी जिंदगी में शामिल नहीं होता है, तो वह अपने आप को खत्म कर लेगी. लेकिन उसका एक्सीडेंट हो जाता है और वह बच जाती है. इस खबर को सुनकर आदित्य जब उसे देखने के लिए एक शिप में सवार होता है तो सामुद्रिक तूफान की वजह से वह शिप तहस नहस हो जाता है. लेकिन आदित्य बच जाता है और अंत में वह प्रेरणा के पास लौट आता है.
कैसी लगी फ़िल्म-निर्देशक इस फ़िल्म के ज़रिए कई बातों की पुष्टि करने चाहते हैं. पहला कि इस दुनिया मैं कई इंसान हैं, जो अपनी इच्छाशक्ति की वजह से किसी भी नकारात्मक चीज़ों पर विजय हासिल करते हैं. इसलिए पूरी फ़िल्म में एक डायलॉग ‘इस दुनियां में एक प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो अपनी किस्मत खुद लिखते है,’ बार-बार आते रहता है. दूसरा, हमेशा प्यार की जीत होती है. तीसरा, विज्ञान 100 फीसदी सटीक नहीं है. खैर जो भी हो इस फ़िल्म का स्क्रिप्ट काफी कमजोर है. एक समय के बाद फ़िल्म बोर करने लगती है. हालांकि फिल्म का स्टारकास्ट ज़बरदस्त है, लेकिन में एक भी खास डायलॉग नहीं है. इस फ़िल्म के सभी गीत कर्णप्रिय हैं. प्रभास की डायलॉग डिलीवरी की बात करें तो वह रुक-रुक कर आती है. हिंदी भाषा पर उनको काम करना पड़ेगा. पूरी फिल्म में पूजा शानदार लगीं. उनका अभिनय ठीक था. प्रभास की मां का रोल भाग्यश्री ने निभाई है. लेकिन पर्दे पर वह प्रभास की मां कम बहन ज़्यादा लग रही थीं. फ़िल्म में वीएफएक्स का काम बढ़िया है. फ़िल्म को बड़े कैनवस पर शूट किया गया है. यूरोप के दृश्य आंखों को सुकून पहुंचाती है. पड़ियो की कहानी सा भी लगता है. लेकिन फ़िल्म के खराब होने की वजह सिर्फ इसकी गलत स्टोरी राइटिंग है.